टीबी की बीमारी के कारण, टी बी रोग में खानपान क्या होना चाहिए व टी बी रोग के लक्षण के बारे में
टीबी एक जीवाणुजनित संक्रामक
बीमारी है। इसे समय रहते सही
उपचार और दवा से रोका जा सकता
है । इलाज पूरा न होने पर इसका
संक्रमण बनता है मौत का सबब...
टीबी संक्रमण से फैलने वाली बीमारी
है, जिसे चिकित्सक की सलाह और
सावधानी बरत कर रोका जा सकता है।
यदि टीबी के मरीज के संपर्क में आने से
रोग लग गया हो तो तुरंत इलाज कराएं
और किसी भी सूरत में इलाज पूरा करें।
यदि इलाज पूरा न हुआ हो या दवाएं लेने
में लापरवाही बरती जाए तो मरीज के
शरीर में मौजूद टीबी के रोगाणु दी जा
रही दवा के प्रति प्रतिरोध क्षमता पैदा कर
लेते हैं।
ऐसा होने पर टीबी की सामान्य दवा
रोगाणु को मारना बंद कर देती है। ऐसे में
मरीज को दूसरी श्रेणी की दवाएं दी जाती
हैं,जो लंबे समय तक खानी पड़ती हैं।
क्यों होती है टीबी
टीबी हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से
दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली बीमारी है।
जब कोई टीबी संक्रमित व्यक्ति खांसता
है तो स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के
खांसने अथवा छींकने के कारण उड़ने
वाली नमी के कणों में सांस लेता है और
इस बीमारी के संक्रमण का शिकार बनता
है। यह रोग बंद कमरों में-जहां आसानी
से हवा का आना नहीं होता है वहां-तेजी
से फैलता है।
इनमें होती संक्रमण की आशंका
जो लोग सिलिकोसिस यानी स्लेट,
पेंसिल उद्योगों में काम करते हैं, उन्हें
इस बीमारी के संक्रमण की संभावना
अधिक होती है। ऐसे लोगों के फेफड़े
इस बैक्टीरिया से जल्दी प्रभावित होते हैं।
गंभीर गुर्दे की बीमारी, धूम्रपान, कुपोषण,
अंग प्रत्यारोपण, कैंसर रोगियों में टीबी के
बैक्टीरिया का संक्रमण बहुत धीरे-धीरे
कम होता है। यदि टीबी की दवाएं लेने
के कुछ हफ्तों बाद कोई बेहतर महसूस
करता है, तो इसका मतलब यह नहीं
है कि संक्रमण पूरी समाप्त हो गया है,
इसलिए पूरा इलाज लिया जाना अत्यंत
आवश्यक है। टीबी के मरीज इस बीमारी
के रोगाणुओं को दूसरों तक फैला सकते
हैं, लेकिन अगर वे दवा को सही तरीके
से ले रहे हैं तो रोगाणुओं को दूसरों को
नहीं बांट सकेंगे।
पोषक आहार आवश्यक है
टीबी की दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी
होते हैं। बैठने, खड़े होने या लेटने पर
चक्कर आना, भूख नहीं लगना, पेट की
खराबी, मतली या उल्टी, सीने में दर्द या
नाराजगी एवं चिड़चिड़ापन, बुखार के
साथ या फ्लू जैसे लक्षण, गंभीर थकान
या कमजोरी, बुखार या ठंड लगना ऐसी
परेशानियों में शामिल है। इससे ग्रसित
रोगी को कई बार त्वचा पर दाने या
खुजली भी हो सकती है। मरीज की
त्वचा पर लाल और बैंगनी धब्बे, नाक
से खून आना, या मसूड़ों से खून बहना,
मरीज के हाथ व पैर में दर्द की शिकायत
भी हो सकता है। इनसे बचने के लिए
आवश्यक है कि रोगी का खान-पान
पोषक और पर्याप्त हो।
टीबी के प्रमुख लक्षण
● दो सप्ताह से ज्यादा समय तक खासी हो तो
चिकित्सक को दिखाए । प्रमुख लक्षणों में रात के
समय अधिक पसीना आना, भूख न लगना, बुखार
आना, तेजी से वजन घटना और सास फूलना शामिल है ।
●टीबी के रोगाणु फेफड़ों को अधिक
संक्रमित करते हैं और रक्त के माध्यम से शरीर के
अन्य अंगों तक फैल जाते हैं। इससे मस्तिष्क, गला,
फेफड़े, हड्डी, रीढ या गुर्दे सहित कोई भी अंग
प्रभावित हो सकता है। कोरोना की तरह यहां भी
सामाजिक दूरी जरूरी है।
● इन लोगों को है ज्यादा खतरा
वयोवृद्ध व्यक्ति
एडसके साथ
जी रहे लोग बचे।
● बातचीत करते वक्त एक
मीटर की दूरी बनाए रखें
●भीड़ के संपर्क में आने से बचें
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