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2021-02-09

paise ka upyog | paise ka sahi upyog | paise ka upyog kaise kare


पैसे का उपयोग या पैसे के सही उपयोग कैसे करे।



पैसा बहुत महत्वपूर्ण है । इसका उचित उपयोग करना बहुत जरूरी है । लेकिन आप किस तरह से अपने पैसे खर्च करती हैं, उससे आपके व्यक्तित्व का पता चलता है।


पैसा, पैसा, पैसा। हर ओर इसे बटोरने की

आपाधापी और कमाने की होड़ लगी हुई है।

बहुतेरे लोग इसके लिए कुछ भी करने से गुरेज नहीं

करते। पैसा कमाने के लिए गलाकाट प्रतिस्पर्धा है।

किसी ने कहा था, "यह सच है कि पैसा खुदा नहीं है,

लेकिन खुदा कसम, खुदा से कम भी नहीं है।"

वर्तमान में यह बात सौ फीसदी सटीक लगती है।

हालांकि, केवल पैसा आ जाना ही काफी नहीं है। पैसे

को संभालकर रखना और उसका सदुपयोग करना भी

उतना ही जरूरी है। आचार्य चाणक्य के अनुसार,

अगर धनपति कुबेर भी अपनी आय से ज्यादा खर्च

करें, तो कंगाल हो जाएं। ऐसे में पैसे की बचत करना

बहुत जरूरी है।


समझिए महत्व


पैसा कमाने की होड़ में लोग इस कदर लगे हैं कि

उनके जीवन से शांति दूर होती जा रही है। हर वक्त वे

अपने पैसे को दोगुना-चौगुना करने के बारे में ही

सोचते रहते हैं। इस चक्कर में रिश्ते-नाते भी पीछे

छूट जाते हैं। क्या हम थोड़े में ही खुश नहीं रह सकते


हैं? क्या आज सचमुच लोग

भौतिक चीजों की बेदी पर

अपने 'सच्चे जीवन' को भेंट

चढ़ा रहे हैं? खाना, कपड़ा

और सिर छुपाने के लिए

कुछ जगह। बस इतना ही

महत्व है पैसे का। याद

रखिए कि पैसों से तमाम

सुख सुविधाएं तो खरीद

सकती हैं, लेकिन मन की

शांति नहीं।


दाल में नमक जितनी


संत कबीर कहते हैं, "साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम

समाय। मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाए।"

यानी जिस प्रकार दाल में नमक कम होने से स्वाद

नहीं आता और ज्यादा होने से स्वाद गड़बड़ा जाता है।

ठीक उसी प्रकार जीवन में पैसे की दरकार होती है।

पैसे से आलीशान घर, अच्छे-अच्छे कपड़े, चमक-

दमकवाला साज-सज्जा का सामान खरीदा जा सकता


है। पैसे में बस इतना ही देने की ताकत है। इससे

ज्यादा पैसा आपको कुछ नहीं दे सकता है। जीवन में

हमें जिन चीजों की ज्यादा जरूरत है, वे पैसे से नहीं

खरीदी जा सकतीं।


सब कुछ और कुछ नहीं


जीवन में पैसे के महत्व के दो पहलू हैं, पैसा ही सब

कुछ है, पैसे के बिना कुछ नहीं। इसे यूं समझिए। एक

बार अमीर शख्स जंगल में फंस जाता है। उसे प्यास

लग जाती है और आस-पास पानी का कोई स्रोत नहीं

होता। उसे एक आदमी मिलता है, जिससे वह पानी

मांगता है, परंतु वह पानी देने से इंकार करता है। अंत

में अमीर आदमी उस राहगीर को पानी के बदले अपनी

सारी दौलत देने को तैयार हो जाता है। पानी की प्यास

ने एक ही क्षण में अमीर को रंक बना दिया व राहगीर

को अमीर बना दिया। अमीर आदमी, जो पहले सोचता

था कि पैसा ही सब कुछ है, उसे यह भी पता चल

गया कि पैसा ही सब कुछ नहीं है। क्योंकि अगर पैसा

ही सब कुछ होता तो वह पानी के लिए अपनी सारी

दौलत उस राहगीर को नहीं देता।


क्यों करते हैं पैसे की कद्र


पैसे का महत्व इस बात से बढ़ता है कि हमारी

जरूरत कितनी बड़ी है। अगर हमारे पास खाने के

लिए कुछ नहीं है, तो उस वक्त पैसा हमारे लिए

सबसे बड़ी चीज हो सकता है। इसके बाद अगर

हमारे पास पहनने के लिए कुछ नहीं है, तो पैसा

थोड़ा घटे कद के साथ हमारे सामने आकर खड़ा

होता है। हमारी जरूरतों की प्राथमिकता जिस

हिसाब से बदलती जाती है, पैसे का महत्व भी

उस हिसाब से घटता-बढ़ता रहता है।


बेमोल को भी प्रभावित


पैसे के बारे में एक आम राय है कि हर चीज पैसे

से नहीं खरीदी जा सकती। हालांकि, जो चीजें पैसे

से नहीं खरीदी जा सकतीं, उन्हें भी पैसा कहीं न

कहीं प्रभावित करता ही है। उदाहरण के लिए मां

का प्यार पैसे से नहीं खरीदा जा सकता, लेकिन मां

भी अपने बेरोजगार बेटे को लानत-मलानत देती

रहती है। बेशक, ऐसा वह उसके भले के लिए

करती है, लेकिन यह भला भी पैसा कमाने से ही

शुरू होता है।

एक बहुत ही मशहूर फिल्म के नायक ने कहा था,

"लालच कामयाबी की सीढ़ी है। लालच करना

फायदेमंद है।" बरसों से पैसे के प्रति लोगों के

रवैये में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। ऐसा देखा

गया है कि दुनिया भर के लोग, अपना अधिकतर

समय और ताकत ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने

और भौतिक चीजों को बटोरने और इस्तेमाल

करने में लगा देते हैं। कई सामाजिक अध्ययन भी

कुछ इस तरह के दिलचस्प नतीजे पर पहुंचे हैं।


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