board exam ki taiyari
बोर्ड एग्जाम की तैयारी कैसे करे या बोर्ड एग्जाम की तैयारी कैसे करनी चाहिए
बोर्डएग्जाम की आपकी तैयारी जोर पकड़ने लगी होगी,पर अधिक से अधिक अंक पाने के लिए अपने आप पर किसी तरह का दबाव न वनने दें। तनावमुक्त होकर परीक्षा देने से न सिर्फ बढ़िया अंक प्राप्त कर सकते हैं,बल्कि आगे किसी भी तरह की प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी खुद को तैयार कर सकते हैं। इस
दिशा में कूलरहकरकैसेवढ़ाएंकदम,बतारहेहैंहमारेविशेषज्ञ,
अंकों में नहीं, लाइफ
में बनें अव्वल
मझन समाज सुधारक और विद्वान
ईश्वरचंद विद्यासागर के बारे में
कहा जाता है कि वे स्कूल में पढ़ाई
के दौरान पिछली सीट पर बैठा करते थे। शिक्षक
भी उन्हें सामान्य स्टूडेंट मानते थे। पर बाद में
उन्होंने खूब मेहनत की और प्रकांड विद्वान के
रूप में जाने गए। उनकी तरह ही महान वैज्ञानिक
जगदीश चंद्र बोस और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे
अब्दुल कलाम को भी छोटी उम्र में बहुत तेज
या अधिक अंक लाने वाला विद्यार्थी नहीं माना
जाता था। पर उन्होंने अपनी रुचि के क्षेत्र में
मन लगाकर पढ़ाई की और ऐसी उपलब्धियां
हासिल की, जो देश के विकास और प्रगति में
सहायक बनीं।
दोस्तो, अगले महीने बोर्ड एग्जाम्स (10वीं
व 12वीं के) शुरू होने वाले हैं। आपमें से ऐसे
कई स्टूडेंट्स होंगे, जो एग्जाम में बहुत अधिक
मार्क्स लाने के लिए अभी से दबाव में होंगे।
ऐसे स्टूडेंट तनाव की वजह से अक्सर ठीक से
सो नहीं पाते। नींद न पूरी हो पाने के कारण वे
अगले दिन भी ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।
यह सही नहीं है। हमारा एक्सपर्ट पैनल मानता
है कि अंकों की मारामारी में फंसे स्टूडेंट सिर्फ
कक्षा में ही अच्छे नंबर ला पाते हैं, लेकिन जो
स्टूडेंट पढ़ाई और लाइफस्टाइल दोनों में बैलेंस
बनाकर चलते हैं, वे न सिर्फ क्लास एग्जाम
पास करते हैं, बल्कि अलग तरह की प्रतियोगिता
परीक्षाओं में भी आसानी से सफल होते हैं।
सभी सब्जेक्ट्स को समझें बराबर : सिस्टम ऐसा
है कि यदि नंबर कम आते हैं,तो अच्छे कॉलेज
में एडमिशन नहीं हो पाता है। पर स्टूडेंट्स को
कभी भी मार्क्स के प्रेशर को अपने ऊपर हावी
नहीं होने देना चाहिए। हम सभी में कुछ न कुछ
खासियतें होती हैं। स्टूडेंट्स के अलावा, माता-
पिता भी यह अच्छी तरह समझ लें कि इन दिनों
स्टडी और करियर के क्षेत्र में ऑप्शंस और चांसेज
ज्यादा हैं।
दुनिया किसी एक
कॉलेज में एडमिशन पर ही खत्म नहीं हो जाती
है। असल में तनाव उन्हीं स्टूडेंट्स को होता है,
जो साल भर के कोर्स को 2 महीने में खत्म
करना चाहते हैं। जो स्टूडेंट साल की शुरुआत
से ही बराबर-बराबर समय सभी सब्जेक्ट्स को
दे रहे होंगे, उन्हें कभी किसी तरह का तनाव नहीं
हो रहा होगा। अभिभावकों की भी मानसिकता
बदली है। वे जानते हैं कि उनका बच्चा यदि
स्पोर्ट्स में अच्छा है, तो उस पर पढ़ाई का बहुत
अधिक दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए।
क्लियर करें कॉन्सेप्टः बारहवीं कक्षा की
कशिश बोर्ड एग्जाम में 65 प्रतिशत अंक ही ला
पाईं, लेकिन मेडिकल एंट्रेंस उन्होंने क्लियर कर
लिया। इसी तरह सुबोध को भी बोर्ड में साधारण
अंक मिले, लेकिन इंजीनियरिंग की परीक्षा पास
कर ली। दरअसल, इन दोनों ने कभी अपने
ऊपर अधिक मार्क्स लाने के स्ट्रेस को हावी नहीं
होने दिया। वहीं कई स्टूडेंट ऐसे भी रहे, जिन्होंने
स्कूल एग्जाम में 90% से अधिक नम्बर प्राप्त किया, लेकिन किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफल नही हो पाए। परीक्षा में अधिक नम्बर लाने का स्ट्रेस अभिभावक भी क्रिएट करते है। ऐसे परिवारों में चौथी-पांचवी कक्षा के स्टूडेंट् को भी अपनी क्लास में टॉप करने का दबाव
रहता है। दरअसल, ऐसे स्टूडेंट रट्टा लगाकर
यानी सलेक्टेड स्टडी कर क्लास की परीक्षा
में तो बढ़िया अंक लाते हैं, लेकिन प्रतियोगिता
परीक्षा में ट्विस्ट किए गए प्रश्नों के उत्तर नहीं
दे पाते, क्योंकि उनका कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं
होता है। ऐसे में शिक्षक और अभिभावक उन्हें
यह समझाएं कि अंकों के चक्कर में न पड़ें।
कॉन्सेप्ट क्लियर रखें। रटी गई चीजें लंबे समय
तक याद नहीं रह पातीं। उलटे परीक्षा भवन में
कॉपी कोरा छोड़ने की नौबत तक आ जाती है।
टाइम मैनेजमेंट का कमाल : बोर्ड एग्जाम में
मेरे मार्क्स इसलिए कम आए, क्योंकि मैं
एग्जाम हॉल में कुछ नया करने का एक्सपेरिमेंट
करने लगा। स्टूडेंट्स को हॉल में साढ़े तीन घंटे
के लिए यानी 10 बजे आंसर शीट मिल जाती
है। शुरू के पंद्रह मिनट फर्स्ट पेज को ध्यान
से पढ़ने में खर्च करें। फर्स्ट पेज पर ही उनको
अपना रोल नंबर, सेंटर नंबर तथा सब्जेक्ट
कोड डालना होता है। इस महत्वपूर्ण इंफॉर्मेशन
में कोई गलती नहीं होनी चाहिए। गलती होने पर
घबराने की बजाय अपने कक्ष निरीक्षक की
मदद लें। क्वैश्चन पेपर पढ़ने के लिए सवा दस
से साढ़े दस यानी 15 मिनट मिलते हैं। इस बार
इंटरनल चॉइसेस बढ़ गई है। परीक्षा में 27 की
बजाय 33 या 34 क्वैश्चन आएंगे। बदले हुए,
पैटर्न के बारे में जानकारी होनी चाहिए। स्कूलों
में निश्चित तौर पर इसकी प्रैक्टिस कराई गई
होगी। इसके बाद पूरी शांति और सुकून के साथ
क्वैश्चन पेपर पढ़ें और यह प्लान कर लें कि
आपको कौन-सा प्रश्न पहले हल करना है।
जिस सब्जेक्ट में जैसी आपने प्रैक्टिस की है
(लंबे क्वैश्चन पहले या छोटे क्वैश्चन पहले
हल करना),वैसा ही करें। अपना कॉन्फिडेंस
बनाए रखें। यदि एक बार पेपर खत्म हो गया तो
दूसरे पेपर के बारे में चिंता करें।
पढ़ाई का लें आनंद : परीक्षा के प्रेशर में
स्टूडेंट्स कभी-कभी गलत कदम उठा लेते
हैं। यह तनाव तब और बढ़ जाता है जब पूरे
- साल रेगुलर पढ़ाई नहीं करते हैं। स्कूलों में टाइप
मैनेजमेंट और स्टडी स्किल की जो वर्कशॉपली
जाती है, उसमें टाइमटेबल बनाकर सब्जेक्ट
वाइज पढ़ाई करने पर जोर दें।थोड़ा वक्त टीवी
देखने, म्यूजिक सुनने, वॉक करने के लिए
निकालें। टीचर और पैरेंट्स भी स्टूडेंट्स के
टाइम टेबल को फॉलो करें। टीचर मोटिवेशनल
सेशंस में स्टूडेंट को जरूर बताएं कि वे स्टडी
क्यों कर रहे हैं? उनके जीवन का लक्ष्य क्या
है? इसे एक शीट पर लिखकर स्टडी टेबल पर
रखें या सामने दीवार पर चिपका लें।जब पढ़ाई
बोरिंग लगने लगे, तो यह शीट दोबारा देख लें।
पढ़ाई में आनंद आने लगेगा। स्कूल में एक्स्ट्रा
क्लासेज ले सकते हैं। शिक्षक स्टूडेंट्स को
बताएं कि जीवन सिर्फ खुशी का माध्यम नहीं
है। उसमें सुख है तो दुख भी है। हर परिस्थिति
का सामना करने के लिए वे तैयार रहें।
टीचर-स्टूडेंट्स का
वाट्सएप ग्रुप
दिनभर में कम से कम दो-ढाई घंटे लिखने का अभ्यास
जरूर करें।कई बार लिखने का अभ्यास नहीं होने पर
तीन घंटे में स्टूडेंट सभी उत्तर नहीं लिख पाते हैं। स्कूल में
होने वाले वीकली टेस्ट, हाफ ईयरली टेस्ट और मॉक टेस्ट
में जरूर भाग लें। यदि संभव हो, तो स्कूल द्वारा एक ऐसा
वाटसअप ग्रुप चलाया जाए, जिसमें स्टूडेंट्स और टीचर
दोनों हो । यदि किसी स्टूडेंट को कोई टॉपिक या
प्रश्न समझ में नहीं आ रहा हो, तो वह उस
ग्रुप में टीचर से अपना सवाल कर
सकता है।
● स्कूल, वेबसाइट, अखबारों आदि द्वारा
उपलब्ध कराए गए सैंपल क्वेश्चन
पेपर्स को तीन घंटे में हल करने की
कोशिश करें। इससे लगातार तीन घंटे
बैठने की आदत विकसित हो जाएगी।
● एग्जाम के एक सप्ताह पहले से
खान-पान सबंधी आदतों को सुधार
लेखासकर एग्जाम के दिन तो लाइट
डाइट ही लेनी चाहिए। रिच कार्बोहाइड्रेट
वाली डाइट से परहेज करें।
● जंकफूड,डिब्बाबंद फूड में मौजूद
प्रिजर्वेटिव में केमिकल्स होते हैं,जो
खाने वाले को हाइपर एक्टिव बना देते
हैं, जिससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई बाधित
होती है।
● कभी-भी ओवर कॉन्फिडेंस के शिकार
न हों। क्लास की पढ़ाई के समय
आपने जो अलग-अलग विषयों के
नोटबुक बनाए हैं, उन्हें ही लगातार
पढते रहे।मैथ्स थ्योरक्स, साइंस
थ्योरीज आदि को लगातार रिवाइज
करते रहें।
● रात में जल्दी सो जाएं और सुबह
जल्दी उठने की आदत विकसित करें।
सुबह दो घंटे सिर्फ किताबों को ही पढ़ें।
लिखने की प्रक्रिया 10 बजे से एक
बजे तक रखें। एक बजे के बाद खाना
खाकर तथा थोड़ी देर आराम कर
फिर 3 बजे से पढ़ाई शुरू करें। रात में
हल्की-फुल्की ही पढ़ाई करें।
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