प्लेटलेट रिच प्लाज्मा थेरेपी के बारे मे इन हिन्दी या पीआरपी थेरेपी क्या होता है ?
बालों से संबंधित समस्याओं में कारगर है प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा थेरेपी। इसे आजमाकर लौटाई जा सकती है बालों की बसूरती...
आजकल लोग बालों से संबंधित कई
समस्याओं से परेशान रहते हैं। गंजापन, बाल
झड़ना, बालों का अत्यधिक महीन हो जाना
बालों से संबंधित सबसे सामान्य समस्याएं
हैं। अगर आप भी ऐसी ही किसी समस्या से
जूझ रहे हैं तो पीआरपी थेरेपी आजमा सकते
हैं। इसमें किसी बाहरी या कृत्रिम चीज का
इस्तेमाल नहीं किया जाता है, बल्कि इसमें
इस्तेमाल होने वाले प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा
(पीआरपी) को उपचार कराने वाले व्यक्ति के
रक्त से ही तैयार किया जाता है। कुछ स्वास्थ्य
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे प्राकृतिक रूप
से बालों का विकास होता है। यह जानने के
लिए कि वास्तव में यह तकनीक बालों को
उगाने में कितनी कारगर है, इस पर अभी भी
शोध जारी हैं।
ये है पीआरपी थेरेपी: पीआरपी थेरेपी एक
बायोलॉजिकल उपचार है। इसमें जिस व्यक्ति
का उपचार किया जाता है, उसके रक्त को ही
प्रोसेस करके प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा यानी
पीआरपी तैयार किया जाता है। इस तकनीक
का इस्तेमाल पिछले कई सालों से चोटिल
लिगामेंट्स, टेंडंस और मांसपेशियों के उपचार
में हो रहा है, लेकिन हाल ही के कुछ वर्षों
में बालों के उपचार और चेहरे की त्वचा को
झुर्रियों से मुक्त करने में किया जा रहा है।
पीआरपी के इंजेक्शन स्कॉल्प (खोपड़ी) में
लगाने से प्राकृतिक रूप से बालों का विकास
होता है। इससे हेयर फॉलिकल की ओर रक्त
का प्रवाह बढ़ता है, जिससे बालों की मोटाई
बढ़ती है। कभी-कभी बेहतर परिणाम पाने के
लिए इसके साथ दूसरी हेयर गेन प्रोसीजर या
दवाइयों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
थेरेपी की प्रक्रिया : सबसे पहले सामान्य
एनेस्थीसिया से प्रभावित क्षेत्र को
सुन्न कर दिया जाता है और फिर
माइक्रो नीडिल्स की सहायता
से पीआरपी को सिर के उन
भागों में इंजेक्ट किया जाता
है, जहां उपचार किया जाना
है। पीआरपी को प्रभावित
क्षेत्र पर डारोलर के द्वारा
भी इंफ्यूज किया जाता है।
डारोलर का प्रयोग करने
से पहले त्वचा पर सुन्न
करने वाली सामान्य
क्रीम लगा दी
जाती है। इस
प्रक्रिया को पूरा
करने के लिए
कई सिटिंग्स की जरूरत होती है। इस उपचार
से न सिर्फ बालों की ग्रोथ बढ़ती है, बल्कि
हेयर फॉलिकल्स भी मजबूत होते हैं। सुइयां
चुभाने और रक्त निकालते समय
दर्द महसूस नहीं होता है, क्योंकि
उस भाग को सुन्न कर दिया
जाता है।
साइड इफेक्टसः पीआरपी
थेरेपी में किसी भी बाहरी
चीज का इस्तेमाल नहीं
होता है। इसलिए साइड
इफेक्ट्स होने का खतरा
कम होता है। रक्त से
तैयार पीआरपी में श्वेत
रक्त कणिकाएं काफी
मात्रा में होती हैं, जिससे
संक्रमण की आशंका
काफी कम होती है और
एलर्जी भी नहीं होती है।
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