धूम्रपान के नुकसान या धूम्रपान जीवन के लिए घातक और धूम्रपान से होने वाली हानियां
आसपास के लोगों की भी सेहत
प्रभावित होती है। इसका दुष्प्रभाव दिल
व फेफड़ों पर पड़ने के साथ ही हड्डियों
में कई तरह की समस्याएं
पैदा करता है। नए शोधों
के मुताबिक 80 फीसद
बीमारियों की वजह
होता है धूमपान...
आजकल धूमपान का शौक बहुत बढ़ा है। हर उम्र के लोग इसकी गिरफ्त में तेजी से आ रहे हैं। तंबाकू का उपयोग पीने,खाने और मंजन के रूप
में हो रहा है। तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव प्रायः
सभी को पता हैं, किंतु युवावस्था की यह लत
एक बार लगने के बाद बुढ़ापे तक बनी रहती है
मगर एक बात यह भी है कि तंबाकू के सेवन से
हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं। इसके अलावा
उनमें रक्त संचार की कमी, संक्रमण, क्षरण एवं
ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।
जो लोग धूमपान करते हैं वे अपने लिए कई
बीमारियों को दावत देने के साथ संपर्क में आने
वालों को भी बीमार करते हैं। निकोटिन युक्त
पदार्थों का सेवन टूटी हुई हड्डी के न जुड़ने या
विलंब से जुड़ने का भी एक कारण
है। धूमपान करने से शरीर की
की मात्रा में गिरावट आती
है, जिसके प्रभाव से शरीर में
किसी भी घाव भरने में विलंब
होता है। इन दुष्परिणामों के
साथ-साथ धूमपान से हड्डी
के घनत्व में कमी आना,
हड्डी का विस्थापित होना या
कमजोर होना आदि समस्याएं
उत्पन्न होती हैं।
विकारग्रस्त हो जाती हैं हड्डियां:
हड्डियों के स्वास्थ्य पर हुए अनुसंधानों
एवं शोधों से पता चला है कि निकोटिन युक्त
पदार्थ में खून का प्रवाह कम करने के साथ-
साथ शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स व विटामिनों
की मात्रा में भी कमी करते हैं। इसकी वजह से
रिएक्टिव ऑक्सीजन की मात्रा में कमी हो जाती
है। ऐसे में हड्डी टूटती भी जल्दी है और जुड़ती
भी नहीं है। निकोटिन डीएनए के स्तर पर हड्डी
की कोशिकाओं के बहुआयामी विकास पर भी
प्रतिकूल प्रभाव डालता है। विभिन्न शोधों से यह
भी साबित हुआ है कि धूमपान की वजह से फीमर
हड्डी, पैर की टीबिया हड्डी और घुमरस हड्डी
टूटने पर जल्दी जुड़ती नहीं है। यदि रोगी अब
धूमपान छोड़ चुका है तो भी यह हड्डी आसानी
से नहीं जुड़ती है। ऐसा पाया गया है कि जो मरीज
इलाज के दौरान धूमपान करते हैं, उनकी हड्डी न
सिर्फ देर से जुड़ती है, बल्कि उसमें कई तरह के
विकार भी पैदा हो जाते हैं।
दिल का दुश्मन धूमपानः दिल की बीमारी का
सबसे बड़ा कारक है धूमपान। धूमपान करने
वाले व्यक्ति को दिल की बीमारी का खतरा तीन
गुना बढ़ जाता है। कुछ लोग सोचते हैं कि कम
धूमपान करने
से खतरा टल
जाता है, लेकिन
ऐसा बिल्कुल
नहीं है। शोध के
अनुसार अगर
कोई व्यक्ति
एक दिन में
एक सिगरेट भी
पीता है तो उसे
धूमपान न करने
वाले शख्स के
मुकाबले दिल
के रोग होने की
आशंका 48
फीसद तक बढ़
जाती है।
दृढ़ इच्छाशक्ति
आदत छुड़ाने
में करेगी मदद:
धूमपान की लत
लगने के बाद
उसे छोड़ने में
काफी दिक्कतें
आती हैं। ऐसे
में काउंसलिंग,
'मनोचिकित्सक
से परामर्श, व्यावहारिक परिवर्तन जैसे उपायों
से रोगी की मदद की जा सकती है। यह पाया
गया है कि धूमपान बंद करने के बाद 50 फीसद
लोग पुनः धूमपान शुरू कर देते हैं। इसके लिए
दृढ़इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है। पौष्टिक
आहार के साथ ही नियमित योग और व्यायाम भी
धूमपान की लत छुड़ाने में मदद करते हैं। धूमपान
से दूरी बनाकर 80 फीसद से अधिक बीमारियों
से बचा जा सकता है और संपर्क में रहने वालों
को बचाया जा सकता है।
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