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2021-06-25

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(डिसीजन) सही निर्णय कैसे लें तरीका या निर्णय कैसे लिया जाता है?


निर्णय लेने की तकनीक कैसे विकसित करे?




झटपट निर्णय लेने की क्षमता होने से

ज्यादा जरूरी है सही निर्णय लेने की

समता का होना। हम सब हर दिन ढेरों

छोटे-मोटे निर्णय लेते हैं। बेहतर जिदंगी

के लिए निर्णय लेने की अपनी क्षमता को

कैसे बनाएं बेहतर,



निर्णय लेना आसान काम नहीं होता। फिर चाहे

निर्णय छोटा हो या बड़ा। निर्णय लेने की हमारी

क्षमता को कई चीजें प्रभावित करती हैं। अनूठी

बात यह है कि अकसर हम इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ

होते हैं। यह सच है कि हमारा प्रत्येक निर्णय हमारी जिंदगी को

एक ही तरह से प्रभावित नहीं करता है, पर इसका मतलब यह

भी नहीं है कि हम दैनिक जीवन में लिए जाने वाले छोटे-मोटे

निर्णयों कोलेकरउदासीन रवैया अपनानाशुरू करदें।इसलिए

अब से फिर चाहे खाने का मेन्यू तय करना हो या फिर नौकरी

के लिए दूसरे शहर जाने का फैसला हो, गलत फैसला लेने से

बचने के लिए निर्णय लेते वक्त कुछ बातों को जरूर ध्यान में

रखें।


निर्णय नहीं हो भावुकता भरा


हम जो काम भी करते हैं उसमें हमारी भावनाएं अहम भूमिका

निभाती हैं, इसलिए कोई भी निर्णय लेते वक्त अपनी भावनाओं

की अनदेखी नहीं करें। अगर आप बहुत ही ज्यादा भावुक

महसूस कर रही हैं तो उस वक्त कोई भी निर्णय लेने से बचें।

निर्णय लेने को कुछ देर के लिए टाल दें। अकसर भावनाओं

की रौ में बहकर हम गलत निर्णय ले लेते हैं। ऐसा करने से बचें।

जब आप भावनात्मक रूपसे संतुलित महसूस करें, तभी शांत

दिमाग और शांत मन से निर्णय लें। ऐसा करने से आपके

फैसलों के गलत साबित होने की आशंका कम हो जाएगी।


सुनें दिल की आवाज


अगर किसी निर्णय को लेकर आपके मन में शंका है कि वह

निर्णय सही साबित नहीं होगा, तो उस निर्णय को लेने से बचें।

अगर आपके सोचने का तरीका ही नकारात्मक हो चुका है तब

तो बात ही दूसरी है। पर, अगर सच में किसी निर्णय को लेकर

आपके मन में कोई बात खटक रही है तो अपने मन की उस

बात को सुनें। उस विषय में अच्छी तरह से विचार-विमर्श करने

के बाद जो उचित लगे, वैसा निर्णय लें। उदाहरण के लिए आप

कोई बड़ा निवेश करने की योजना बना रही हैं, पर आपके मन

के एक कोने में उस निवेश को लेकर नकारात्मक बातें आरही

हैं, तो अपने मन की सुनें। निवेश करने का निर्णय लेने से पहले

जरूरी जांच-पड़ताल कर लें।


वजह हो सही


अगर आप कोई ऐसा निर्णय लेने जा रही हैं, जिसे लेने का कारण

आपको मालूम है कि सही नहीं है तो फिर बेहतरी इसी में है

कि वैसा निर्णय लिया ही नहीं जाए। यह सोचकर देखें कि जिस

निर्णय को लेने की वजह ही सही नहीं है, फिर उस निर्णय का

परिणाम कितना गलत होगा? मसलन, आप अपनी अच्छी-

खासी नौकरी छोड़ने का निर्णय सिर्फ इसलिए ले रही हैं क्योंकि

ऐसा करने से आपके ससुराल वाले खुश हो जाएंगे। पर, क्या

आपने सोचा है कि आपके इस निर्णय से आपको कितनी खुशी

मिलेगी? अगर नौकरी छोड़ने से आपको रत्ती भर भी खुशी नहीं

मिल रही है तो नौकरी नहीं छोड़ें।

इसकी जगह अपने ससुराल

वालों को समझाने की

कोशिश करें कि

आपका नौकरी करना

आपकी अपनी खुशी

और परिवार के

सुरक्षित व उज्ज्वल

भविष्य के लिए क्यों

जरूरी है। अगर आपकी बात ससुराल वाले नहीं समझ

रहे हैं तो इस काम में अपने पति की मदद लें।


जब असहजता हो हावी


कोई निर्णय लेते वक्त अगर आप उसके बारे में असहज

महसूस कर रही हैं तो फिर वह निर्णय नहीं लें। कोई भी निर्णय

लेना मानसिक और शारीरिक रूप से थकावट भरा काम होता

है। सिर्फ इस वजह से ही आप शारीरिक, मानसिक और

भावनात्मक रूप से थकावट महसूस कर सकती हैं। अगर कोई

बात आपको पहले से ही इतना परेशान कर रही है तो बेहतर

होगा कि आप खुद को इस कुचक्र में फंसाए ही नहीं। अगर

किसी विषय के बारे में असहज महसूस कररही हैं तो उस निर्णय

को कुछ देर के लिए टाल दें।



निर्णय लेने की क्षमता होगी बेहतर


आपकी सहेली जिंदगी के बड़े-से-बड़े निर्णय भी

चुटकी बजाते ही ले लेती है और हर दिन आपका

आधा घंटा यह तय करने में बीत जाता है कि आज

कपड़ा क्या पहना जाए। कोई भी निर्णय लेने में अगर

आपके भी पसीने छूटने लगते हैं तो इस समस्या से

छुटकारा दिलवाने में कुछ बातें आपके लिए मददगार

साबित हो सकती है।

• कला की ओर अपना रुझान बढ़ाइए। हर सप्ताह

कम-से-कम तीन घंटे गाना गाए. डास करें,

गिटार बजाएं या फिर पेटिग करें। इससे ध्यान

केंद्रित करने की क्षमता बेहतर होगी और मूड

अच्छा रहेगा। ये गुण निर्णय लेने की आपकी

क्षमता को बेहतर बनाएंगे।

• अपने दिमाग के अलग-अलग हिस्से को सक्रिय

करने के लिए कोई ऐसा काम करना शुरू करें,

जो थोड़ा टेक्निकल हो। आप कोई विदेशी भाषा

सीख सकती हैं, नियमित रूप से कुछ लिखना

शुरू कर सकती है या फिर कंप्यूटर की कोई

प्रोग्रामिंग सीख सकती हैं।

• सिर्फ अपने उम्र के लोगों की सोहबत में रहना

बंद करें। हर उम्र के लोगों के साथ वक्त बिताएं।

बड़ी उम्र के लोगों से आपको भविष्य को ध्यान में

रखकर निर्णय लेने की सीख मिलेगी, वहीं

युवाओं की संगत से आपको अपने सपनों को

याद रखने की सीख मिलेगी। सभी आयु वर्ग के

लोगों से निर्णय लेते वक्त आपको कुछ-न-कुछ

सीखने के लिए मिलेगा।

• कुकिंग के दौरान तरह-तरह के प्रयोग करें।

देसी खाना रोज-रोज पकाने की जगह दुनिया

के अलग-अलग देशों की रेसिपी बनाने की

कोशिश करें। खाना बनाने की इस प्रक्रिया के

दौरान आप पाएगी कि जो मुद्दे आपको लंबे समय

से उलझाए हुए थे, वो दिमाग में अपने-आप

सुलझने लगे हैं। उस विषय में निर्णय लेने की

आपकी क्षमता में कुकिंग के माध्यम से स्पष्टता

आ जाएगी।

• अगर कोई भी तरीका काम नहीं आ रहा है तो

किसी भी निर्णय से जुड़े फायदे नुकसानों की

एक लिस्ट बनाएं और फिर उसके अनुरूप

अपना निर्णय लें।

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