किडनी की देखभाल कैसे करे या किडनी को हेल्दी रखने के उपाय और तरीका के बारे मे
मार्च माह के दूसरे गुरुवार
को मनाया जाता है किडनी
जागरुकता दिवस और इसबार
कीथीम है, लिविंगवेल विद
किडनी डिजीज' |जानते हैं इसके
बारे में विस्तार से...
किडनी से जुड़ी परेशानी के लक्षण प्रारंभ
में महसूस नहीं होते हैं। इसलिए
किडनी सेहतमंद रहे, इसके लिए
जरूरी है कि स्वयं जागरूक रहें। क्या हमारी
किडनी में किसी तरह का संक्रमण है? इस
सवाल का जवाब यूरिन के
परीक्षण से मिल जाता है।
हाई रिस्क ग्रुप के लोगों
को हर हाल में यूरिन
का परीक्षण कराते रहना
चाहिए। डायबटीज और
उच्च रक्तचाप से ग्रस्त
लोगों में किडनी खराब
होने की आशंका अन्य
लोगों की तुलना में 10
गुना अधिक होती है।
मोटापा, धूमपान,
डायबिटीज, उच्च
रक्तचाप, 50 वर्ष
से अधिक उम्र,
किडनी में स्टोन,
यूरिन में रुकावट
आदि समस्याएं हैं तो आप हाई
रिस्क ग्रुप में आते हैं। प्रायः जब
किडनी 65 फीसद से अधिक
खराब हो चुकी होती है, तभी
समस्या का पता चलता
है। किडनी कमर के
पास दाएं व बाएं दोनों
तरफ होती है। इसका
मुख्य कार्य शरीर के विषैले तत्वों को यूरिन के साथ बाहर निकालना है। इसी के साथ ही हृदय द्वारा पंप किए गए रक्त का 20 फीसद हिस्सा किडनी में आता है, जिसे यह छानकर विषैले तत्वों को अलग करती है और खून को साफ करती है।
आसान है किडनी का हाल जाननाः किडनी कभी भी
दो-चार दिन या सप्ताह भर में खराब नहीं होती है, बल्कि इसके खराब होने में लंबा वक्त लगता है।
एक सामान्य परीक्षण कराकर कभी भी आप अपनी
किडनी की सेहत के बारे
में जान सकते हैं। किडनी खराब हो रही है, इसकी पुष्टि रक्त की जांच सीरम क्रिएटनिन व यूरिन में प्रोटीन की मात्रा से होती है। इस परीक्षण से भी एडवांस परीक्षण माइक्रोएलब्यूमिन परीक्षण है। आमतौर पर 80 फीसद लोग अस्पताल तब पहुंचते हैं, जब किडनी खराबी की अंतिम स्टेज पर पहुंच चुकी होती है। इसे क्रॉनिक किडनी डिजीज कहते हैं।
100 में 17 की किडनी अस्वस्थः एक अनुमान के मुताबिक 100 में से 17 लोगों की किडनी अस्वस्थ होती है। डायबिटीज के कारण 30-40 फीसद लोग किडनी फेल्योर के शिकार होते हैं, जबकि 15 फीसद लोग उच्च रक्तचाप की वजह से इसकी चपेट में आते हैं। हर साल लगभग दो लाख लोग किडनी ट्रांसप्लांट की लाइन में होते हैं, पर बमुश्किल तीन हजार मरीजों को ही यह सहूलियत पाती है।
डायलिसिस नहीं है निदानः किडनी रोगी के लिए हेमो
डायलिसिस और पेरीटोनियल डायलिसिस के जरिए कुछ
हद तक राहत संभव है, लेकिन यह पूर्ण उपचार नहीं है।
इनमें हेमो डायलिसिस के लिए डायलिसिस सेंटर जाना
पड़ता है, जबकि पेरीटोनियल डायलिसिस घर पर भी संभव
होती है। इन दोनों प्रक्रियाओं की अपनी कुछ जटिलताएं
भी हैं।
ट्रांसप्लांट है पूर्ण उपचार : किडनी को स्वस्थ करने का
ट्रांसप्लांट ही पूर्ण उपचार है। हालांकि ट्रांसप्लांट के बाद
दवाओं पर रहना होता है और बहुत एहतियात बरतने होते
हैं,लेकिन इससे 15 से 20 साल तक ठीक रहा जा सकता
है। ट्रांसप्लांट के बाद से रोगी को किडनी रोग विशेषज्ञ की
देखरेख में रहना होता है।
ठीक नहीं किडनी में स्टोन होना
किडनी में स्टोन का समय पर उपचार न होने से इसका
सेहत पर खराब असर पड़ता है। गर्मी के दिनों में इसका
अटैक 40 फीसद तक बढ़ जाता है। डिहाइड्रेशन की वजह
से भी किडनी में स्टोन होने की संभावना हो जाती है।
इसकी वजह से किडनी फेल्योर की आशंका भी बढ़ जाती
है। जब भोजन में कैल्शियम, फॉस्फोरस और ऑक्जीलेट
की मात्रा अधिक होती है तो स्टोन या पथरी बनती है।
इन तत्वों के सूक्ष्म कण यूरिन के साथ निकल
नहीं पाते और किडनी में एकत्र होकर स्टोन
बनाते हैं। सूक्ष्म कणों से मिलकर बना स्टोन
अक्सर दर्द की समस्या खड़ी करता है।
किडनी में स्टोन होने की समस्या पुरुषों
में अधिक होती है।
ये आदतें खराब हैं।
पेशाब रोकना, कम पानी पीना.
बहुत ज्यादा नमक खाना, उच्च
रक्तचाप व डायबिटीज के इलाज
में लापरवाही, ज्यादा मात्रा में
दर्द निवारक दवाएं लेना, सॉफ्ट
ड्रिंक्स और सोडा का अधिक सेवन,
अल्कोहल का अधिक सेवन, विटामिन डी की कमी,
प्रोटीन, पोटेशियम, सोडियम, फॉस्फोरस वाले खाद्य
पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन।
सुरक्षित रहेगी किडनी
शरीर में विटामिन डी और विटामिन बी6 की कमी न होने पाए।
● विटामिन सी किडनी की सेहत के लिए जरूरी है।
• किडनी को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
• नमक कम खाएं। कई बार नमक कम खाने से किडनी को काफी राहत
मिलती है।
• डाइट में प्रोटीन की मात्रा नियंत्रित रखें।
•खीरा, ककडी, गाजर, पत्तागोभी, लौकी
। और तरबूज फायदेमंद हैं।
• हरी सब्जियों जैसे टिंडा, परवल,
सेम, पत्तागोभी और सहजन का सेवन करें।
• सेब, पपीता, अमरूद, बेर का सेवन
लाभकारी है।
• 35 वर्ष की उम्र के बाद समय-समय पर रक्तचाप औरशुगर
की जांच अवश्य कराते रहें।
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