सनक और गुस्सा कैसे कंट्रोल करे?
खुद पर कंट्रोल कैसे करे या खुद को कंट्रोल कैसे करें?
कई बार आप परिवार में या आफिस में सबकुछ अपने हिसाब से चलाना चाहती है। कई बार कोई दूसरा आप पर अपने तरीके से चलने का दबाव बनाता हैं। ऐसे में क्या करती है आप?
जब आप बाहर की दुनिया में होती हैं तो कई चीजों को कंट्रोल करने की
हिदायत दी जाती है। यह हिदायत
कब एक सनक में तब्दील हो जाए,
पता नहीं चलता है। आपने भी महसूस किया होगा
कि कई लोगों में नियंत्रण की सनक होती है। ऐसा
व्यक्ति खुद को आपका बॉस समझने लगता है
और आपको अपनी अंगुलियों पर नचाना चाहता
है। ऐसे लोगों को कुछ समय के लिए तो बर्दाश्त
किया जा सकता है, पर बाद में उनका बर्ताव
बकवास लगने लगता है। सच्चाई तो यह है कि
ऐसे लोग अपनी मांग और व्यवहार से किसी को
भी परेशान कर सकते हैं।
बेशक, बाजार और प्रबंधन के युग में इसे
नेतृत्व का एक गुण भी माना गया है, भले ही
व्यक्ति को नेतृत्व करने वाला पद न मिला हो।
लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि अत्यधिक नियंत्रण
करने वाला व्यवहार हमेशा अच्छा हो, यह जरूरी
नहीं है। पेशेवर जीवन में कई बार यह रास्ता दूरियों
का कारण भी बन सकता है। इस फलसफे से
निजी जीवन का व्यवहार भी बदल सकता है।
यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा ही घट रहा है तो
पूरे हालात को समझें, उसका आकलन करें और
फिर रणनीति बनाकर स्थिति पर नियंत्रण (रिलीज
कंट्रोल) करें।
नियंत्रण की चाह
नियंत्रण की चाह होना कोई दोष नहीं है, लेकिन
यदि पेशेवर जीवन में तरक्की करनी है और
पारिवारिक रिश्तों में भी महक बनाए रखनी है तो
इस आदत को दरकिनार करना होगा। बात-बात
पर सही-गलत का मोर्चा उठाना ठीक नहीं है। इसे
दूर करने के लिए आपको आत्ममूल्यांकन करना
होगा। मसलन, खुद पर अतिविश्वास होना कि
आप हमेशा सही होती हैं, लीडरशिप निभाने से
सुकून और शांति महसूस करना, सभी सफल
कार्यों का श्रेय लेने की भूख, हमेशा अपने इगो को
सर्वोपरि रखना आदि। ये कारण या गुण अच्छे तो
होते हैं, लेकिन कई बार समस्याएं भी पैदा करते
हैं। यह व्यवहार पेशेवर से निजी जीवन में आकर
घातक हो सकता है और आपके संबंधों को गंभीर
रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। यह
भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक तनाव का
कारण बन सकता है।
एक पायदान नीचे
आत्ममूल्यांकन के बाद जब तय हो जाए कि
आपमें दूसरों को नियंत्रित करने की चाह बढ़ती
जा रही है, तो सबसे पहले यह सोचें कि अब क्या
करें? उसके बाद खुद को एक पायदान नीचे ले
जाएं। यह सोचें कि आप महान हैं, लेकिन दूसरे
भी आपसे कम नहीं हैं। साथ ही दूसरों को अपने
कौशल का उपयोग करने दें, क्योंकि हर काम
आप ही नहीं कर सकतीं।
खुद को एक ब्रेक
इसे स्वीकार करें कि आप सब
और अपनों से कुछ नियंत्रित नहीं कर सकतीं।
इसलिए खुद को एक ब्रेक दें
है। और देखें कि दूसरों को काम
करते देखना कैसा लगता है। एक
बार जब आप अपने हस्तक्षेप के बिना
काम को ठीक पाएंगी तो आपके विचार कितने
सहज हो गए हैं और आपके द्वारा दिखाए गए
विश्वास के साथ उन्हें खुश देखना कितना अच्छा
लगता है।
भोजन का मेन्यु
घर में आप अपनी नियंत्रण की चाह से छुटकारा
पाने की कोशिश छोटे-छोटे कामों में भी करें।
मसलन, आप पति, बच्चों या परिवार के दूसरे
सदस्यों को यह तय करने दें कि रात के खाने में
क्या बनना है? इसके साथ ही घूमने के लिए आप
ही जगह का चुनाव न करें, बल्कि अपनों के
बीच बैठकर उनसे भी राय लें। अपनी बात भी
रखें, लेकिन उन पर थोपें नहीं। जिस जगह के
लिए सबकी एक राय बने, वहीं घूमने जाएं। साथ
ही परिवार के साथ ज्यादा समय बिताएं। दूसरी
ओर, अगर ऑफिस का कोई साथी या मित्र
आपके साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है तो उससे
दूरी बना लें और जहां तक हो सके, उससे बचें।
इससे वह समझ जाएगा कि आपको उसका
हस्तक्षेप पसंद नहीं।
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