क्या आपभी उन लोगों में हैं,जोफोन यालैपटॉपको पूरीरात
चार्जिंग में लगाकरछोड़ देते हैं। बतादें किपूरीरातचार्जिंगसेन
सिर्फ बैटरीपर दबाव पड़ता है,बल्किइससे बैटरी की उम्र भी कम
होजाती है।जानें बैटरीचार्ज करने कास्मार्ट तरीका...
बहुत सारे स्मार्टफोन यूजर्स की यह आदत
होती है कि वे रात में फोन को चार्जिंग
में लगाकर छोड़ देते हैं। शायद उन्हें यह
अच्छा लगता है कि जब वे सुबह उठे, तो बैटरी 100
वे
फीसद चार्ज हो यानी सुबह-सुबह बैटरी चार्ज करने
का झंझट ही न रहे। भले ही नियमित तौर पर 100
प्रतिशत बैटरी चार्जिंग तत्काल आपको फायदेमंद लगे,
लेकिन आपका यह तरीका धीरे-धीरे बैटरी की जान
ले लेता है। इतना ही नहीं, यह बैटरी लाइफ को भी
प्रभावित करता है।
कितनी होती बैटरी की लाइफ : जब नया फोन खरीदते
हैं, तो उम्मीद करते हैं कि वह लंबे समय तक आपका
साथ दे। लेकिन इसके लिए डिवाइस का खयाल रखना
भी जरूरी होता है, तभी वह आपका लंबे समय तक
साथ देगा। स्मार्टफोन-लैपटॉप के लिए बैटरी ही उसकी
जान है। ऐसे में यदि बैटरी चार्जिंग की बेसिक बातों
को नहीं जानते हैं, तो फिर डिवाइस को ही नुकसान
पहुंचाएंगे। स्मार्टफोन या फिर दूसरे इलेक्ट्रॉनिक्स
डिवाइस में इस्तेमाल होने वाली रिचार्जेबल बैटरी की
सबसे बड़ी खामी यह है कि समय के साथ धीरे-धीरे
यह अपनी क्षमता खोने लगती है, भले ही आप उसका
उपयोग कर रहे हों या फिर नहीं। अगर ध्यान दें, तो
आपको पता चल जाएगा कि कुछ माह बाद इसकी
क्षमता में गिरावट आने लगती है। अगर डिवाइस
करीब दो साल पुराना हो जाए, तो फिर उसे दिन में एक
से अधिक बार चार्ज करने की जरूरत पड़ जाती है।
आमतौर पर मैन्युफैक्चरर बैटरी चार्ज साइकिल के
माध्यम से स्मार्टफोन की लाइफ एसपेक्सी जीवन
प्रत्याशा) का निर्धारण करते हैं। एक चार्ज साइकिल
को 0 से 100 प्रतिशत तक बैटरी चार्ज, फिर वापस 0
प्रतिशत तक डिस्चार्ज के रूप में परिभाषित किया गया
है। रिचार्जेबल बैटरी के लिए आमतौर पर लीथियम-
आयन (ली-आयन) बैटरी का इस्तेमाल होता है।
स्मार्टफोन, वेपोराइजर, लैपटॉप आदि में भी इसी का
उपयोग होता है। मोटे तौर पर 300 से 500 बार फुल
चार्ज साइकिल कंप्लीट करने बाद बैटरी की क्षमता
घटकर 75 फीसद तक आ जाती है। धीरे-धीरे यह
घटती चली जाती है।
क्या है स्मार्ट चार्जिग का तरीका : स्मार्टफोन और ट
टैबलेट में लीथियन-आयन बैटरी के वैरियंट लीथियम
पॉलिमर का इस्तेमाल होता है। यह वर्जन अधिक
सुरक्षित होने के साथ छोटा और तेजी से चार्ज होता है।
हालांकि लिीथियम-आयन की तरह लाइफ साइकिल
का नियम लीथियम पॉलिमर पर भी लागू होता है।
जब नियमित रूप से इसे 80 फीसद से अधिक चार्ज
करते हैं, तो फिर बैटरी अपनी क्षमता खोने लगती है।
वैसे, स्मार्टफोन की बैटरी 50 प्रतिशत चार्ज पर सबसे
अच्छा काम करती है। अगर बैटरी को 100 प्रतिशत
तक चार्ज कर देते हैं, तो यह फुल चार्ज साइकिल में
गिना जाता है। बैटरी यूनिवर्सिटी साइट के मुताबिक,
बैटरी को 100 फीसद चार्ज करने के बाद उसे शून्य
तक डिस्चार्ज होने देने से बेहतर है कि आप इसे 50
प्रतिशत तक ही डिस्चार्ज होने दें। 20 से 80 फीसद के
बीच को क्रम को बनाए रखें। ऐसा करने से बैटरी की
डिस्चार्ज साइकिल तीन गुनी तक बढ़ जाएगी।
बैटरी की देखभाल है जरूरीः रात में बिस्तर पर जाने
से पहले फोन को अनप्लग कर दें। जब सुबह उठे तो
बेशक फोन को चार्ज में लगा दें। आजकल स्मार्टफोन
फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ आने लगे हैं, इसलिए
चार्जिंग में ज्यादा वक्त नहीं लगता है। फोन को रात
में चार्ज में लगाकर छोड़ देते हैं, तो यह चार्जर से लंबे
समय तक कनेक्ट रहता है। यहां ध्यान रखना होगा कि
बैटरी ओवरचार्ज न हो। हालांकि इसे रोकने के लिए
20 से 80 फीसदी के बीच ही रखे बैटरी चार्जिंग।
40 से 80 फीसद घर बेहतर बैटरी परफॉमेंस मिलता है।
20 फीसदी से नीचे आने से पहले ही फ़ोन को चार्जिंग में लगा दे।
मैन्युफैक्चरर ने सुरक्षा उपाय भी किए हैं। जब आप
100 प्रतिशत चार्ज करते हैं, तो यह ट्रिकल चार्ज को
जोड़ता है। इसका मतलब है कि डिवाइस डिफॉल्ट रूप
से जितनी एनर्जी का इस्तेमाल करता है, इस स्थिति में
वह इससे ज्यादा करने लगता है। 100 प्रतिशत तक
चार्ज करने का मतलब है कि बैटरी पर अधिक दबाव
डाल रहे हैं। जब इसे जरूरत न हो तब भी अधिक
ऊर्जा खर्च करने के लिए मजूबर किया जाता है। इतना
ही नहीं, लंबे समय तक चार्ज में छोड़ने से तापमान
में वृद्धि हो सकती है, जो फोन की बैटरी को खराब
कर देती है। इसके अलावा, यदि चार्जिंग के दौरान
फोन को तकिये के नीचे रखते हैं, तो एयरफ्लो की
कमी से न केवल बैटरी को नुकसान होता है, बल्कि
आग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। देखा जाए,
तो 32 फॉरेनहाइट (0 सेल्सियस) से नीचे और 158
फॉरेनहाइट (70 सेल्सियस) से ऊपर का तापमान
लीथियम-आयन बैटरी की क्षमता को प्रभावित
करता है।
ऑटोमैटिक चार्जिग बंद होने की सुविधाः अगर आप
अपनी बैटरी चार्जिंग की हैबिट को बदलना चाहते हैं,
तो एंड्रॉयड के लिए 'एक्कू बैटरी' एप की मदद ले
सकते हैं। अगर बैटरी चार्जिंग के लिए 80 प्रतिशत
का लेवल चुनते हैं, तो फिर यह आपको अलर्ट करता
है। आइओएस के लिए कम ही विकल्प उपलब्ध हैं,
लेकिन मैक की बैटरी लाइफ को बेहतर करने के
लिए 'फ्रूटजूस-बैटरी हेल्थ' एप की मदद ले सकते
हैं। कुछ लैपटॉप में अधिकतम बैटरी चार्ज प्रतिशत
को कॉन्फिगर करने के लिए बीआइओएस सेटिंग्स
मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, लेनोवो विंडोज के लिए
लेनोवो एनर्जी मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर का उपयोग करता
है। इसे इंस्टॉल करने के बाद 'ऑप्टिमाइज फॉर बैटरी
लाइफस्पैन' को चुनने पर लैपटॉप की बैटरी निर्धारित
लेवल तक चार्ज होने के बाद बंद हो जाती है।
इन उपायों से हो सकता है कि कम समय में आपको
बहुत अधिक अंतर न दिखाई दे, लेकिन एक साल
बाद आप तब ज्यादा खुश होंगे, जब उस समय भी
फोन की बैटरी पूरे दिन आराम से आपका साथ देती।
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