हाल में इंडिया टॉयफेयर-2021' के उद्घाटन के अवसरपरपीएम
मोदी ने अपने संबोधन में भारत में खिलौना निर्माणकोबढ़ावा दिये
जानेपरजोर देते हुए कहा किखिलौने बच्चों के दिमाग के विकास
औरसंज्ञानात्मककौशलकोबेहतरबनाने में मदद करते हैं। इसमें
ज्ञान होता है, विज्ञान भी होता है,मनोरंजन होता है और मनोविज्ञानभी
होता है। खिलौनों की इसीखूबी की वजह से देश और दुनिया में टॉय
मार्केट तेजी से आगे बढ़ रहा है।जानें,रुचिकेसाथकुशलता
बढ़ाकरकैसेइसफील्ड में बनासकते हैं चमकदारकरियर...
गुरु रवींद्र नाथ टैगोर ने अपनी
एक कविता में कहा है,
'एक खिलौना बच्चों को
खुशियों की अनंत दुनिया में ले जाता
है। खिलौने का एक-एक रंग बच्चे
के जीवन में कितने ही रंग बिखेरता
है।' वास्तव में यह काफी हद तक
सही भी है। बच्चों के समग्र विकास
में खिलौनों के महत्व को देखते हुए ही
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्ले आधारित
और गतिविधि आधारित शिक्षा दिये
जाने पर काफी बल दिया गया है। देश
में पहली बार आयोजित 'इंडिया टॉय
फेयर-2021' में पारंपरिक भारतीय
खिलौनों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक
खिलौने, आलीशान खिलौने, पहेलियां
और आधुनिक खिलौने आभासी तौर
पर प्रदर्शित किए गए। वहीं, दूसरी ओर
मार्केट में तरह-तरह के खिलौनों की
मांग के कारण आजकल टॉय डिजाइन
और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में करियर
के नये-नये मौके तेजी से बढ़ रहे हैं।
संभावनाएं: बच्चों की बड़ी आबादी वाले
अपने देश में इस समय शैक्षिक और
आकर्षक दोनों प्रकार के खिलौनों की
काफी आवश्यकता है। हाल फिलहाल
के वर्षों में तरह-तरह के इनोवेटिव
खिलौनों की मांग बढ़ने से इसमें युवा
अब करियर बनाने के लिए आगे आ रहे
हैं। एक अनुमान के अनुसार, दुनियाभर
का खिलौना उद्योग अभी करीब 7.20
लाख करोड़ रुपये का है। भारत में
भी यह कारोबार 110 अरब रुपये के
लगभग है। दुनियाभर में जहां खिलौने
की मांग में हर साल 5 फीसद तक
वृद्धि हो रही है, वहीं भारतमें खिलौनों
की मांग में 10-15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
देखी जा रही है। द इंटरनेशनल मार्केट
एनालिसिस रिसर्च ऐंड कंसल्टिंग की
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय टॉय मार्केट
में अभी स्वदेशी खिलौनों की तुलना में
लगभग 70 फीसद खिलौने चीन से
आयात होते हैं और करीब 15 फीसद
तक खिलौनों का आयात अमेरिका,
थाईलैंड, कोरिया और जर्मनी जैसे
देशों से होता है। भारत की हिस्सेदारी
अभी 1.5 फीसद से भी कम है। हाल
में लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भर
भारत जैसी योजनाओं को सरकार द्वारा
बढ़ावा दिये जाने से माना जा रहा है
आने वाले दिनों में देश के खिलौना
उद्योग को वैश्विक हब बनाने के लिए
चीन की तरह भारत में भी टॉय क्लस्टर
को प्रोत्साहन मिलेगा और इससे यहां
संभावनाएं भी बढ़ेगी।
जॉब्स के मौके : देश में अभी 4 हजार से
अधिक टॉय फैक्ट्रियां हैं, जहां खिलौने
बनते हैं। टॉय इंडस्ट्री में मुख्य रूप से
टॉय प्रोडक्शन, टॉय डिजाइनिंग तथा
टॉय मार्केटिंग से संबंधित काम होते
हैं। प्लास्टिक, पेपर बोर्ड, टेक्सटाइल,
पॉलिस्टर जैसी चीजों से आकर्षक
खिलौने बनाने के लिए टॉय डिजाइनर्स
की देश-विदेश की विभिन्न टॉय मेकिंग
कंपनियों में आवश्यकता देखी जा रही
है। इस समय बच्चों के कमरे या प्ले
स्कूल भी टॉय की थीम पर डिजाइन
किए जाने लगे हैं। इसके लिए भी
टॉय डिजाइनर की काफी मांग है। टॉय
सेक्टर में स्वरोजगार के भी बहुत मौके
हैं। देश के कोने-कोने में टेडी बियर्स
और सॉफ्ट टॉय खिलौनों को स्वरोजगार
के रूप में अपनाया जा रहा है। सॉफ्ट
टॉय मेकिंग के व्यवसाय के लिए न
तो किसी बड़ी शैक्षणिक योग्यता की
जरूरत है और न ही आयु सीमा की।
स्वरोजगार योजनाओं के तहत खिलौना
उद्योग के लिए कई राज्य सरकारों द्वारा
पूंजीगत निवेश में सब्सिडी भी दी जा
रही है।
शैक्षिक योग्यता: सॉफ्ट टॉय मेकिंग में
कुशलता हासिल करने के लिए किसी
फैक्ट्री में ट्रेनिंग लेकर इसे सीखा जा
सकता है। वहीं अगर टॉय एंड गेम
डिजाइनिंग से संबंधित कोर्स करके
बतौर टॉय डिजाइनर करियर बनाना
चाहते हैं, तो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ
डिजाइन, अहमदाबाद/बेंगलुरु समेत
देश के कुछ अन्य संस्थानों में उपलब्ध
कोर्स किया जा सकता है। इन कोर्सेज
में प्लास्टिक और विभिन्न प्रकार के
मेटल्स के साथ टॉय डिजाइन करने
की कला सिखायी जाती है। डिजाइनिंग
में बैचलर डिग्रीधारी युवा एनआइडी
से टॉय डिजाइनिंग में स्पेशलाइजेशन
करके भी इस फील्ड में करियर बना
सकते हैं। इसके अलावा, टॉय मेकिंग
में ग्राफिक डिजाइन, कंप्यूटर डिजाइनिंग
तथा कार्टूनिंग की अतिरिक्त जानकारी
रखने वालों को करियर में खुद को तेजी
से आगे बढ़ाने में काफी मदद मिल
सकती है।
इनोवेटिव डिजाइनर्स के लिए हैं बेहतर मौके
देश में बच्चों की संख्या अधिक होने के साथ ही उनको महत्व भी
दिया जाने लगा है । सभी पैरेंट्स अपने बच्चों का सही विकास
चाहते हैं। खिलौने खेलने से बच्चों का माइंडशॉर्प होता है,
उन्हें इससे काफी चीजें सीखने को मिलती हैं। यही वजह है
कि खिलौनों की डिमांडहर साल बढ़ रही है।हमारेजो स्टूडेंट
डिजाइन में हैं या एंटरप्रेन्योरशिप में हैं, वे अगर इस फील्ड में
आते हैं, तो यहां उनके लिए अपने माइंड को एक्सप्लोर करने के
साथ-साथ तरह-तरह कीइनोवेटिव डिजाइनिग, टॉय प्रोडक्शन
तथा मार्केटिंग असीमित मौके हैं। टॉय डिजाइनर्स की अभी बहुत
जरूरत है, लेकिन देश में पर्याप्त कुशल लोग नहीं हैं। इसलिए
अभीइस फील्ड में वेन्यू और संभावनाएं दोनों बहुत हैं।
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