बच्चो को तेज कैसे बनाए या बच्चो को आगे कैसे बड़ाये
बच्चे सपने देखें, तो देखने दें। उन्हें रोकिए नहीं। टोकिए नहीं। उनके सपनों को आप पंख दें। रास्ता दिखाएं। यह जरूरी नहीं कि आपने जो सपना देखा...उस सपने में बच्चे अपना सच देखें। वे अलग रास्ता बनाना चाहते हैं...तो उन्हें हौसला दें।
बच्चो को आगे बढ़ाने का तरीका
हर माता-पिता अपने बच्चे के बेहतर भविष्य का सपना देखते हैं। हर कोई चाहता है कि उनका बच्चा एक बेहतर स्कूल में पढ़े, उसे आगे चलकर एक अच्छे कॉलेज में दाखिला मिले, पढ़ने-लिखने के बाद बढ़िया नौकरी मिले और भविष्य में बेहतर मुकाम हासिल करे। बच्चों को सही दिशा दिखाना माता-पिता का काम है। लेकिन कई बार बच्चों का सपना और माता-पिता का सपना एक जैसा नहीं होता। माता-पिता बच्चे को किसी बड़े ऑफिस में एक बड़ी पोस्ट पर देखना चाहते हैं, तो वहीं बच्चे का सपना डांस करना, एक्टिंग करना या किसी क्रिएटिव क्षेत्र में काम करने का हो सकता है। जरूरी यह है कि बच्चों की इच्छा, पसंद, नापसंद, उनके कौशल और प्रतिभा को नजर अंदाज करने के बजाय उनकी रुचि की पहचान की जाए, उन्हें सपने देखना सिखाया जाए और सपने को साकार करने का रास्ता दिखाया जाए।
शिखा तीन साल की थी, जब उसने पहली बार स्टेज पर फिल्मी गाने पर अपने पैर थिरकाए थे। डांस परफॉर्मेंस की सभी ने खूब तारीफ की थी। उस दिन की तालियों की गड़गड़ाहट आज भी उसके कानों में गूंजती है। इसके बाद शिखा की दिलचस्पी डांस में बढ़ने लगी। माता-पिता ने एक डांस स्कूल में उसका दाखिला भी करवा दिया। उन्होंने सोचा कि बच्चों के लिए एक्सट्रा एक्टिविटी जरूरी है, तो डांस बढ़ियाहै। शिखा का डांस में खूब मन लगता था। जब वह नाचती, तो सब कुछ भूल जाती। वो एक कोरियोग्राफर बनना चाहती थी। उसने कई परफॉर्मेंस भी दिए और हर जगह उसकी खूब प्रशंसा भी हुई।
देखते-देखते कुछ साल गुजरे और छोटी सी शिखा दसवीं कक्षा में आ गई। और फिर हुआ उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला। एक दिन स्कूल से घर लौटने पर शिखा के माता-पिता ने उससे कहा कि उसे डांस स्कूल बंद करना पड़ेगा, क्योंकि उस समय पर उसके लिए नए ट्यूशन क्लास का इंतजाम किया गया है। उन्होंने शिखा को समझाया कि डांस शौक के लिए ठीक है, लेकिन इसमें करियर नहीं है। डॉक्टर बनने से समाज में रुतबा भी मिलेगा और पैसा भी। डॉक्टर बनने के लिए उसे अच्छे नंबरों की जरूरत है और इसलिए ट्यूशन जरूरी है। शिखा माता-पिता के तर्क के सामने अपने सपने का औचित्य साबित नहीं कर पाई और उसने चुपचाप उनकी बात मान ली। लेकिन मैथ्स और माइंस में उसका उतना मन नहीं लगता, जितना डांस में लगता है।
पिछले तीन सालों से वह प्रतियोगी परीक्षा दे रही है, लेकिन सफल नहीं हो पा रही है। नतीजा शिखा डिप्रेशन का शिकार हो गई है। माता-पिता न तो शिखा की रुचि पहचान पाए और न ही उसके सपने को समझ पाए।
यह कहानी केवल शिखा की ही नहीं है। कई सर्वे से पता चलता है कि भारतीय माता-पिता अपने बच्चों की खुशियों, उनके सपनों की बजाय उनके करियर को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं। और करियर भी वह, जैसा वे चाहते हैं। हमारे पड़ोसी के रिश्तेदार चाहते थे कि उनका बेटा इंजीनियरिंग में दाखिला ले, क्योंकि उनके घर में दादा, नाना से लेकर चाचा, मामा हर कोई इंजीनियर है। बेटे को बाहरवीं में इतने नंबर नहीं आए कि उसे सरकारी कॉलेज में दाखिला मिल सके।
लेकिन माता-पिता को तो इंजीनियर ही बनाना था, सो मोटा डोनेशन देकर एक प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन करा दिया। लेकिन एक साल के भीतर ही बेटा घर बैठ गया, क्योंकि उसे इंजीनियरिंग समझ नहीं आती है। हां, बेटे का मन किचन में खूब लगता है। जब भी उसके हाथों कोई डिश बनती है, तो पूरा परिवार उंगलियां चाट-चाटकर खाता है। लेकिन शायद माता-पिता ने उसके इस कौशल को महत्व ही नहीं दिया।
कई बार बच्चे की रुचि माता-पिता की रुचि से मेल नहीं खाती है। ऐसे में अक्सर बच्चा कुछ और करना चाहता है, मगर माता-पिता उस पर कुछ और करने का दबाव बनाते हैं। ऐसी स्थिति में ज्यादातर बच्चे दोनों ही तरह के फैसलों पर खरे नहीं उतर पाते हैं, जिससे ज्यादातर उन्हें असफलता हाथ लगती है। कई बार बच्चों को बेहतर भविष्य देने की चाहत में उनकी पसंद और सपनों की अनदेखी हो जाती है। बच्चों का भविष्य बेहतर तभी बनेगा, जब वे खुश रहेंगे और वे खुश तभी रह सकते हैं, जब वे अपनी पसंद और मन का काम करेंगे। माता-पिता का काम बच्चों को उनके सपने को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करना होना चाहिए न कि अपने सपने को बच्चों के माध्यम से पूरा करने पर जोर देना चाहिए।
पल्लव का बेटा सात साल का था, जब उसने एस्ट्रोनॉट बनने की इच्छा जाहिर की थी। एस्ट्रोनॉट यानी अंतरिक्ष यात्री, जो चांद और सितारों की पढ़ाई करते हैं। यह क्षेत्र निश्चित रूप से असाधारण है, लेकिन पल्लव ने इसकी अनदेखी करने के बजाय बेटे के सपने को सच करने की सोची। सबसे पहले उन्होंने घर पर ही बेटे के लिए एक छोटी सी लाइब्रेरी तैयार की है। लाइब्रेरी में अंतरिक्ष, चांद, सितारों की जानकारियों से जुड़ी कई किताबें हैं। साथ ही उन्होंने टीवी पर आने वाले ऐसे ही प्रोग्राम की रिकॉर्डिंग भी शुरू की। अब बेटे का खाली समय इन किताबों और कार्यक्रमों को देखने में ही बीतता है। इस एक्सपोजर से बेटे का सपना भी मजबूत हो रहा है और उसे आगे बढ़ने का रास्ता भी मिल रहा है।
हर बच्चो मे होती है प्रतिभा?
हर बच्चे में एक नैसर्गिक प्रतिभा छिपी होती है, जो उसे बचपन से ही उस क्षेत्र में प्रेरित करती रहती है। अगर आप बचपन से ध्यान दें, तो आप उस प्रतिभा का पता लगा सकते हैं और वही आपके बच्चे के भविष्य के लिए बेहतर साबित हो सकता है। बच्चों के सपने पूरे हो सकते हैं, अमर उनके माता-पिता उनकी पसंद और इच्छाओं को जांचें, पहचाने और बेहतर उपलब्ध विकल्पों का अनुसरण करें। विशेषज्ञों का मानना है कि माता-पिता को अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कुछ सरल सुझावों का पालन करना चाहिए।
बच्चों को 'बिग ड्रीमर्स' के सिद्धांत बताएं आज के समय में बच्चे प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुनिया के संपर्क में हैं, इसलिए बच्चों की शुरुआती उम्र में ही उनके सपनों को पोषित करना पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। उनमें, कम उम्र में ही 'बिग ड्रीमर्स' यानी बड़े सपने देखने का सिद्धांत अंतर्निहित करना चाहिए, ताकि उस पर वे पूरी लगन के साथ काम कर सकें।
माता-पिता को एक बेहतर और सकारात्मक वातावरण को बढ़ावा देना चाहिए। खुद को अपने बच्चों के लिए आदर्श मॉडल बनाना चाहिए। यह निश्चित रूप से बच्चों में स्वतंत्र भावना और जुनून रखने में सहायता करेगा।
बच्चों को प्रोत्साहित करें
माता-पिता को हमेशा बच्चों को अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कितने बड़े हैं। बच्चों की पसंद या उनके सपने की अनदेखी करने का प्रभाव उनके जीवन पर पड़ सकता है। कई बार वे तनाव और डिप्रेशन तक का शिकार हो सकते हैं।
बच्चे के समग्र विकास पर ध्यान दें
बच्चों के कौशल और गुणों की पहचान करना जरूरी है। यह न केवल आपके बच्चों में छिपी प्रतिभा और योग्यता का खुलासा करता है, बल्कि कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के लक्षणों को भी उजागर करता है। इससे माता-पिता को न केवल अपने बच्चों को बेहतर तरीके से समझने में सहायता मिलेगी, बल्कि उन्हें अपने बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन करने में भी मदद होगी।
ऑनलाइन टैलेंट डिटेक्टिंग टूल का करें इस्तेमाल
अपने बच्चों के जुनून, सपनों और रचनात्मकता की पहचान करने के लिए, माता-पिता को आलोचनात्मक हुए बिना बच्चों का विश्लेषण करने में सक्षम होना चाहिए। यह निश्चित रूप से एक चुनौती के रूप में आता है। इस तरह की चुनौती के लिए, माता-पिता को संरचित योग्यता आकलनों (structured aptitude assessments) का पता लगाना चाहिए। इसमें विशेषज्ञ मार्गदर्शन शामिल है और यह बच्चों के संज्ञानात्मक कौशल और क्षमताओं को समझने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस तरह के मूल्यांकन कार्यक्रम माता-पिता को अपने बच्चों की आकांक्षाओं के साथ साझेदारी करने में सक्षम बनाते हैं और उन्हें अपने बच्चों के लक्षणों को मापने के लिए अधिक मजबूत और सबूत आधारित परिणाम देते हैं।
आपको कैसा अभिभावक होना चाहिए?
एक जिम्मेदार अभिभावक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों की रुचियों और प्रतिभा को पहचाने और उन्हें सही मार्गदर्शन दें। बच्चों के सपने, हमारे सपनों से अलग हो सकते हैं, ऐसे में जरूरी है कि हम उन्हें वह करने के लिए प्रोत्साहित करें, जो वे करना चाहते हैं। कई बार बच्चे समझ नहीं पाते कि वो क्या करना चाहते हैं। तो ऐसे में अभिभावकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, बच्चों पर ध्यान देना। अभिभावकों को पता लगाना चाहिए कि उनका बच्चा कौन सा कार्य पूरे मन से करता है या क्या करने में उसे सबसे ज्यादा मजा आता है। बच्चों की रुचि पहचानकर उसके बारे में जानकारी जुटाएं, बच्चों से बात करें और उनके विचारों को जानने का प्रयत्न करें और फिर बच्चों के लिए गोल तय करें, ताकि आप उनका मार्गदर्शन कर सकें।
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