बाजरा रोटी खाने के फायदे या बाजरा खाने के फायदे (बेनिफिट्स) के बारे मे इन हिंदी
बाजरा और उसके फायदे
बीतासाल मोटे अनाज की खूबियों को बखूबी बताया गया है। सर्दियों में इम्युनिटीकी और भी जरूरत होती है और इसी को पूरा करता है बाजरा...
सर्दियों के मौसम में मक्के की रोटी और
सरसों का साग तो अक्सर खाते ही होंगे, लेकिन
इस बार जरा बाजरे की रोटी को किसी भी
दाल, लहसुन की चटनी या बथुए की सब्जी के
साथ आजमाकर देखें। उक्त व्यंजन स्वाद में तो
शानदार होते ही हैं, वहीं इस ऋतु में मुफीद भी
होते हैं। साथ ही ये सेहतमंद रखने का कुदरती
दवाखाना तक माने जाते हैं।
भारत में आमतौर पर नियमित रूप से गेहूं,
चावल आदि बारीक अनाज से बना भोजन
खाने का प्रचलन है, लेकिन आहार विशेषज्ञ
कहते हैं कि मोटा अनाज शरीर के लिए
सर्वोत्तम है। इसलिए बाजरे की रोटी, भाखरी,
खिचड़ा वगैरह उपयोग में लाए जाने की सलाह
दी जाती रही है। बीते कुछ समय से जीवनशैली
संबंधी समस्याओं जैसे मोटापा, डायबिटीज,
ब्लड प्रेशर के साथ ही कोविङ-19 के कहर ने
भी इस ओर अधिक ध्यान खींचा है।
मेन्यू में मिली जगह
वैसे, कुछ सालों से सर्दियों के दौरान होने वाले
वैवाहिक एवं अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में बाजरे
से बनने वाले व्यंजन परोसे जाने की सार्थक
पहल होने लगी है। देखा जाए तो बाजरे के
व्यंजन इतनी आसानी से हमारी थाली तक नहीं
पहुंचते। बात अगर बाजरे की रोटी की करें
तो इसके लिए जरूरी है कि बाजरे का आटा
बारीक पिसवाया जाए और यह पंद्रह दिन के
भीतर इस्तेमाल हो जाए। अच्छे से गूंथकर हाथ
से तैयार रोटी का अपना अलग स्वाद होता है।
भोजन विशेषज्ञ
सलाह देते हैं कि
बाजरे की रोटी ताजी ही खाएं, वर्ना
वह कड़क हो जाती है। मक्का की तरह
इसके भुट्टे भी सेंककर चाव से खाए जाते हैं।
सेहत की चिंता से रखे दूर
कोरोना संक्रमण ने स्वास्थ्य, दिनचर्या, व्यायाम
खासकर खान-पान को लेकर प्रत्येक वर्ग के
सामने नई-नई चुनौतियां पेश कर दी हैं।
वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि बाजरा,
जिसे मोटा अनाज भी कहा जाता है, में पर्याप्त
मात्रा में फाइबर होता है, जिससे पाचन तंत्र की
उचित देखभाल होती है और कब्ज की समस्या
भी नहीं होती। बाजरे के सेवन से मानव शरीर
में अतिरिक्त कैलोरी जमा नहीं होती। साथ
ही इसमें आवश्यक पोटेशियम, मैग्नीशियम,
आयरन, विटामिन, प्रोटीन मिलते है। इतने गुणों
की प्रधानता के साथ ही इसके सेवन से नींद न
आना, डिप्रेशन, सिरदर्द, माइग्रेन की समस्या में
भी राहत रहती है।
कम वर्षा में बेहतर फसल
बाजरा दो प्रकार का होता है, देसी एवं संकर
उर्फ हाइब्रिड। हाइब्रिड से बचने की सलाह दी
जाती है, क्योंकि इसमें उत्पादन तो अधिक होता
है मगर पौष्टिकता कम। हमारे देश में बाजरे
की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश,
हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में होती है।
इसकी फसल के लिए ज्यादा वर्षा की जरूरत
नहीं पड़ती। इसकी बुआई अन्य अनाज के साथ
भी की जा सकती है। भू विज्ञानी बताते हैं कि
एक हेक्टेयर में 30 से 40 क्विंटल बाजरे की
फसल और पशुओं का 70 क्विंटल चारा पैदा
हो सकता है। बाजरे की खेती के लिए रेतीली
बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है,
लेकिन अब इसकी खेती किसी भी तरह की
मिट्टी में की जा सकती है।
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