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2022-03-05

कोविड 1 9 वैक्सीन गाइडलाइन - कोरोना वैक्सीन (टीका) की जानकारी - corona vaccine kya hai

Corona Tikakaran Vaccine Guideline

कोरोना टीकाकरण की जानकारी बारे में या कोरोना वैक्सीन लगने के बाद सावधानियां और कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद क्या करे..?


कोविड-19 टीकाकरण का लक्ष्य इस खतरनाक वायरस के संक्रमण से बचाव में महत्वपूर्ण योगदान देना है। पहले
चरण की अग्रिम पंक्ति में जन-स्वास्थ्य की देखभाल में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों का टीकाकरण होना है।
यही वह वर्ग है,जो अपनी जान जोखिम में डाल सीधे तौर पर कोविड 19 से मोर्चा ले रहा है...

वर्तमान में सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और महामारी से आर्थिक क्षेत्र में पड़ने वाले दुष्प्रभाव को
कम करना सर्वोच्च प्राथमिकता है। हालांकि
कोविड-19 टीका सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण
हिस्सा है, लेकिन व्यक्तिगत सुरक्षा और
सामुदायिक संक्रमण की रोकथाम के लिए
कोविड उपयुक्त व्यवहार के निरंतर अभ्यास
पर जोर देना महत्वपूर्ण है मसलन साबुन
और पानी का उपयोग करते हुए लगातार और
अच्छी तरह से हाथ धोना, मास्क अथवा फेस
कवर पहनना और एक-दूसरे से न्यूनतम दो
गज (छह फीट) की शारीरिक दूरी रखना।
टीकाकरण अथवा कोविड-19 से उबरने के
बाद भी संक्रमण के जोखिम को कम करने
के लिए कोविड उपयुक्त व्यवहार जारी रखने
के औचित्य की व्याख्या करते हुए आमजन
को जागरूक करना जरूरी है।

वायरस के टीके: ये टीके कमजोर या निष्क्रिय वायरस के लिए बनाए जाते हैं। खसरा और पोलियो के लिए भी टीके इसी तरह से बनाए जाते हैं। कोरोना के लिए भी कमजोर अथवा निष्क्रिय वायरस के खिलाफ दो प्रकार के टीके विकसित किए जा रहे हैं।

वायरल-वेक्टर टीके:

इन टीकों के विकास में एक वायरस (जैसे एडेनो वायरस या खसरा), जिसे शरीर में कोरोना वायरस प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए जेनेटिकली डाला जाता है, इससे वायरस कमजोर होता है, जो कि रोग पैदा नहीं कर सकता है 

न्यूक्लिक एसिड टीके :

इन टीकों में, न्यूक्लिक एसिड (डीएनए या आरएनए) को मानव कोशिकाओं में डाला जाता है। ये मानव कोशिकाएं तब वायरस प्रोटीन की प्रतियां तैयार करती हैं, जो हमारे शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करती हैं।

प्रोटीन आधारित टीके: ये टीके वायरस
प्रोटीन के फ्रेगमेंट या प्रोटीन के गोले का
उपयोग करते हैं, जो सीधे शरीर में इंजेक्ट
किए जाते हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ
विकसित होने वाले दो प्रकार के प्रोटीन
आधारित टीके हैं। प्रोटीन सब-यूनिट के
टीके और वायरस जैसे कण वाले टीके।

टीके का विकास एक समय लेने वाली
प्रक्रिया है जिसमें शामिल हैं-
प्री-क्लीनिकल चरण : यह मानव परीक्षण
से पहले का एक चरण है। प्रयोगशाला में
वैक्सीन विकसित की जाती है। इस स्तर पर
प्रयोगशाला में पशुओं पर जांच की जाती है।

उन्नत चरणों के तहत टीकों की सामान्य

क्लीनिकल परीक्षण
चरण-1

इस चरण में 20-30 स्वस्थ वयस्क स्वयं सेवकों में इसके सुरक्षित होने का आकलन करने के लिए प्रयोग किया
जाता है।

चरण-2

वैक्सीन इम्यूनोजेनेसिटीकापरीक्षण करना यानी वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन इस चरण में प्रथम की अपेक्षा अधिक मानव प्रतिभागियों
की आवश्यकता होती है। परीक्षण का यह चरण
पूरा होने में पहले के मुकाबल कहीं अधिक समय
लगता है।

चरण-3
परीक्षण का यह हिस्सा वैक्सीन के
प्रभाव का आकलन करने के लिए
होता है। इस चरण मे वैक्सीन को
हजारों लोगों परयानी 30000 से
50000 की जनसंख्या पर जांचा
जाता है।

मामूली दुष्प्रभाव संभव

कोविड-19 वैक्सीन सुरक्षित और
प्रभावी होगी, मगर शरीर में इजेक्शन
लगने वाले स्थान परदर्द था इसके दर्द
से बुखार जैसे मामूली दुधाभाव हो सकते
हैं। सामान्यत: इस तरह के दुष्प्रभाव
अन्य किसी बीमारी में लगने वाली
वैक्सीन में भी हो सकते है।

वैक्सीन लगने के बाद भी बरतें सावधानी

कोविड 19वैक्सीन प्राप्त करने के
बाद भीहमें फेस कवरया मास्क, हैंड
सेनेटाइजेशन औरशारीरिक दूरी (छह
फीटया दो गज दूरी) के उपयोग जैसी
सभी सावधानियां बरतनी चाहिए।टीको
की संभावित उपलब्धता के आधार पर
भारत सरकारने प्राथमिकता वाले समूहों
का चयन किया है। इसीलिएटीकाकरण
प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
इसके अंतर्गत पहले समूह में हेल्थकेयर
वर्कर्स शामिल है, क्योंकि वे संक्रमण
के खतरे में हैं। लिहाजा यह आवश्यक
स्वास्थ्य सेवाओं को बनाए रखने के लिए
भी जरूरी है।

विशेषताएं

• अधिकतर तरल उत्पाद (कुछ फ्रीज ड्राय
होते हैं)।
• अधिकांश इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन हैं।
• अधिकांश दो खुराक का कोर्स होता है।
• अधिकांश टीकों को बहु खुराक शीशी में
प्रदान किया जाएगा।

फ्रंटलाइन वर्कर्स के टीकाकरण से
कोविड-19 मृत्युदर को कम करके इसके
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव को कम
करने में मदद मिलेगी। कोविड-19 वैक्सीन
प्राप्त करने वाला अगला समूह 50 वर्ष से

अधिक आयु के व्यक्ति और 50 वर्ष से कम
आयु के सह रुग्णता वाली श्रेणी होगी, क्योंकि
इस श्रेणी में मृत्युदर अधिक है। टीकाकरण के
लिए 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग को शामिल
करने का कारण यह भी है कि यह सह रुग्णता
वाले 78 फीसद व्यक्तियों को कवर करने में
सक्षम होगा और इससे कोविड-19 के कारण
मृत्युदर में कमी आएगी।
कोविड-19 के साथ संक्रमण के पिछले
। इतिहास के बावजूद कोविडवैक्सीन का पूरा
शेड्यूल प्राप्त करना उचित है। यह बीमारी
के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद करेगा।
हम राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम और
बीते दशकों में सामने आए कई रोगों जैसे
चेचक, पोलियो के खात्मे पर टीकाकरण के
प्रभाव के साक्षी रहे हैं। इसी तरह यह कोविड
वैक्सीन कोविड-19 महामारी से लड़ने के
लिए कारगर साबित होगी। इस टीकाकरण
कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए
स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अधिकारियों, कार्मिकों
और ब्लॉक, जिला व राज्य प्राधिकरण को
सहयोग करने का अनुरोध किया गया है।

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