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2022-03-09

ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद बीमारी क्या है - Treatment(Upchar), Symptoms(Lakshan), Reason (Karan) ke bare me in hindi

ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद क्या है? या ग्लूकोमा के ट्रीटमेंट, लक्षण, इलाज व ठीक करने के उपाय के बारे मे  इन हिन्दी

ग्लूकोमा की जागरूकता के लिए 7 से 13 मार्च के मध्य मनाया जा रहा है ग्लूकोमा सप्ताह। समय पर इस रोग की पहचान और जांच ही है कारगर उपचार...

glaucoma kya hai 


बीते कुछ वर्षों में ग्लूकोमा (काला मोतिया/सबलबाई) के बढ़ते रोगी विश्वभर में चिंता का विषय बन रहे हैं। ग्लूकोमा के अधिकतर रोगी अक्सर दृष्टि के चले जाने तक रोग से बेखबर रहते हैं। इस रोग को समझना और समय-समय पर आंखों की संपूर्ण जांच ही एकमात्र तरीका है इस रोग से बचने का।

kala motia ke lakshan

समझिए ग्लूकोमा को
ग्लूकोमा में आंख के पर्दे की मुख्य नस
(ऑप्टिक नर्व) धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो
जाती है, जिससे दृष्टि कम होते-होते एक
वक्त के बाद पूरी चली जाती है। नस के
क्षतिग्रस्त हिस्से का उपचार संभव नहीं है।
केवल जो हिस्सा स्वस्थ है, उसे ग्लूकोमा
नियंत्रण द्वारा बचाया जा सकता है। इसे
समय रहते पहचानना और उपचार द्वारा
नियंत्रित रखना आसान हो सकता है।
आमतौर पर इसके लक्षण जल्दी पहचान
में नहीं आते हैं। कुछ मामलों में रोगी को
अचानक से तेज सिर दर्द, उल्टी आना,
धुंधला दिखना या रात में रोशनी पड़ने पर
इंद्रधनुष सा दिखने की समस्या हो सकती
है।

इंट्रा आक्युलर प्रेशर (आईओपी) :

जांच यह एक उपयोगी व महत्वपूर्ण जांच है, परंतु इसके साथ ही कुछ अन्य जांचें भी जरूरी हैं। इन जांचों के किए बिना ग्लूकोमा के प्रभाव से आंखों को सुरक्षित रखना मुश्किल है।

दृष्टि की परिधि नापना (फील्ड चार्टिंग) : 
फील्ड चार्टिंग ग्लूकोमा की पहचान व नियंत्रण के लिए एक उपयोगी जांच है। हालांकि यह जांच मुख्य नस की 30
फीसद तक क्षति होने के बाद ही ग्लूकोमा को पकड़ सकती है।

रेटिनल नर्व फाइबर लेयर एनालिसिस
(आरएनएफएल): ग्लूकोमा के रोग में
आंख की मुख्य नस की कोई भी क्षति
होमे से पहले पकड़ने में सक्षम यह
एक अत्याधुनिक जांच है। यह जांच
ओसीटी मशीन द्वारा की जाती है। जांच
में चिकित्सक सीधे आंख की नस व पर्दे
की विस्तृत जानकारी पा सकते हैं और एक
से छह वर्ष पूर्व ग्लूकोमा होने की संभावना
को पकड़ सकते हैं, जो पहले से ग्लूकोमा
से पीड़ित हैं, उनके लिए भी यह जांच अति
आवश्यक है। यह आरामदायक और जल्द
हो जाने वाली एक महत्वपूर्ण जांच है,
जो ग्लूकोमा से पीड़ित हैं वे प्रतिवर्ष यह
जांच करवाएं और जिनके परिवार में कोई
ग्लूकोमा से पीड़ित है, वे 40 वर्ष के बाद हर
तीन-चार साल में यह जांच अवश्य कराएं।

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