टॉय करियर या जॉब कैसे पाये या टॉय डिज़ाइनर कैसे बने
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पहल पर हाल में आयोजित आनलाइन टॉयकैथान-2021' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय संस्कृति पर आधारित खेल और खिलौने बनाने पर जोर देते हुए युवाओं से इस क्षेत्र में आगे आने की अपील की, ताकि स्वदेशी डिजिटल गेमिंग को बढ़ावा दिया जा सके। भारत अभी 80 फीसद खिलौने आयात करता है। गेमिंग में भी यही हाल है। ऐसे में स्किल्ड युवाओं के लिए यहां बहुत संभावनाएं हैं...
अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री ने कहा कि खिलौने बच्चों की मानसिक शक्ति
और रचनात्मकता बढ़ाते हैं। खिलौनाउनका पहला दोस्त होता है। बच्चों का पहला
संवाद खिलौनों से ही होता है। इसी के माध्यम
से वे सीखने की शुरुआत करते हैं। प्रधानमंत्री
की अपील के तुरंत बाद टॉयकैथान में ही होनहार
युवाओं ने गेमिंग के जरिए रामायण को पेश कर इस
दिशा में सुखद पहल की। जाहिर है देश में रामायण,
महाभारत, पौराणिक व लोक कथाओं आदि पर गेम
बनाने की बेशुमार संभावनाएं हैं। इससे न सिर्फ
बच्चों-युवाओं को मजेदार खेल खेलने को मिलेंगे,
बल्कि इससे उन्हें देश की समृद्ध संस्कृति को भी
जानने-समझने का अवसर मिलेगा। जहां तक
खिलौनों और गेमिंग के महत्व की बात है, तो आज
यह एक तेजी से बढ़ती इंडस्ट्री का रूप ले चुका है।
पूरी दुनिया में खेल और खिलौनों का बाजार करीब
सात लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है। वैसे,
इसमें कोई दो राय नहीं कि गेमिंग आज लोगों के
मनोरंजन का एक प्रमुख माध्यम बन गया है। सस्ते
डाटा और इंटरनेट की पहुंच बढ़ने से बच्चे तो
बच्चे, बड़ों को भी यह काफी पसंद आ रहा है।
खास तौर से पिछले एक डेढ़ सालों में कोरोना
संकट के बाट गेमिंग की रफ्तार और तेजी से
बढ़ी है। आनलाइन गेमिंग पर समय बिताने वाले
बूजर्स की संख्या कई गुना बढ़ गई है। स्टाटिस्टा
के 2020 के एक सर्वे में पता चला है कि देश की एक बड़ी आबादी रोजाना कोई न कोई डिजिटल
मेम जरूर खेलती है। इस सर्वे के अनुसार पुरुषों में
जहां शूटर और स्पोर्ट्स गेम सबसे ज्यादा लोकप्रिय
हैं, वहीं महिलाएं स्ट्रेट्रेजी और एडवेंचर गेम ज्यादा
पसंद करती हैं।
स्थानीय खेल-खिलौनों पर जोर:खेल और खिलौनों
के वैश्विक कारोबार में भारत की हिस्सेदारी अभी
मात्र कुल डेढ़ फीसद है। खिलौनों का यह कारोबार
देश में 1 हजार करोड़ रुपये के लगभग है। अपनी
जरूरत के करीब 80 फीसद खिलौने भारत चीन
समेत दूसरे देशों से आयात करता है। यही स्थिति
डिजिटल नेम की भी है। मोबाइल पर खेले जाने
वाले ऐसे आनलाइन गेम्स में भी फ्री फायर, कॉल
ऑफ ड्यूटी, एपेक्स लीजेंड्स जैसे विदेशी गेम्स
का ही बोलबाला रहा है। अपने देश की पृष्ठभूमि
व संस्कृति से जुड़े ऐसे गेम अभी बहुत कम बन
रहे हैं। इसी अभाव को देखते हुए देश को खेल
और खिलौनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए
देशभर में गेम्स कलस्टर बनाने पर जोर दिया जा
रहा है। इस क्रम में पहला गेम्स कलस्टर कर्नाटक
में विकसित हो रहा है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और
महाराष्ट में भी ऐसे ही कलस्टर बनाने का प्रस्ताव
है। जाहिर है आने वाले दिनों में गेमिंग मार्केट में
सुनहरे भविष्य की काफी संभावनाएं हैं, जहां आप
अपनी रुचि एवं स्किल के अनुसार, वीडियो गेमिंग,
वायरलेस गेमिंग, पीसी गेमिंग या मल्टीप्लेयर
गेमिंग में करियर बना सकते हैं।
करियर के विकल्प: गेमिंग की इस दुनिया में आपके के पास कुशलता है तो गेमिंग कंपनीयो में गेम प्रोड्यूसर, गेम डिज़ाइनर, एनिमेटर, ऑडियो/म्यूजिक प्रोग्रामर, ग्राफिक प्रोग्रामर जैसे विभिन्न रूपो में करियर बना सकते है।
कोर्स एंव शैक्षिक योग्यता : अगर आप कंप्यूटर साइंस से बीटेक है, तो बतौर गेम डेवलपर इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते है। इसके अलावा, अगर डिजाइनिंग पृष्ठभूमि से है, तो यहाँ गेम डिज़ाइनर के रूप में करियर बनाया जा सकता है। वैसे, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कुशल लोगो के लिए इस सेक्टर में काफी अवसर है। गेमिंग में ग्रेजुएशन के अलावा दसवीं के बाद सर्टिफिकेट और बारहवीं के बाद डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते है।
तेजी से बढ़ रही भारतीय गेम्स की मांग
अभीतक ज्यादातर गेमिंगइंडस्ट्री विदेश से ही चल रही थी।वहीं के गेम यहां खेलेजा
रहे थे। लेकिन अब भारतीय संस्कृति से जुड़े गेम्स का भी मार्केट में कज्यूमर बेस बढ़
रहा है। आगे इस तरह के और ज्यादा गेम्स सामने आएंगे।ऐसे गेम्स बनाने के लिए
कईबडी गेम कंपनियां भी आने की तैयारी में हैं। सरकार भी इस दिशा में मदद कररही
है।इसलिए युवाओं के लिएइस फील्ड में बहुत अच्छा स्कोप रहने वाला है। आज के युवा
मूवीया टीवी की तुलना में सबसे ज्यादा समय यहीं बिताना पसंद कर रहे हैं। इसलिए
यह एक बड़ी इंडस्ट्रीबनने वाली है । गेमिंग उन युवाओं के लिए बहुत ही अच्छा फील्ड
होगा, जो खुद एक गेमर हैं और इसी में अपनी कुशलता बढ़ाकर अपना करियर भी
बनाना चाहते हैं। आने वाले समय में ऐसे युवाओं की डिमांड तेजी से बढ़ने वाली है।
80% खिलौने हर साल आयात करता है भारत। अभी कुल खिलौनों में सबसे अधिक चीन से आयात होता है।
40 हजार नए जॉब्स पैदा होने की उम्मीद है भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री में अगले साल यानी वर्ष 2022 तक।
प्रमुख संस्थान
● नेशनल इंस्टीट्यूट आफ डिज़ाइन, अहमदाबाद / बेंगलुरु
www.hid.edu
● माया एकेडमी ऑफ एडवांस सिनेमेटिक्स, नोएडा
www.maacindia.com
● आई आई एफ ए मल्टीमीडिया, बेंगलुरु
https://iifamultimedia.in
● एमिटी यूनिवर्सिटी, मुम्बई
www.amity.edu
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