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2022-04-17

ऑटिज्म बीमारी क्या है | उपचार | उपाय | लक्षण | बचाव

ऑटिज्म कौन सी बीमारी है, उपचार, उपाय, लक्षण के बारे मे 



ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं है। यह मानसिक विकास से जुड़ी एक अवस्था है। इसके लिए बच्चे के माता-पिता या खुद बच्चा जिम्मेदार नहीं है। ऑटिज्म के लक्षण सबमें अलग होते हैं और इसका ये मतलब नहीं कि बच्चे का कोई भविष्य नहीं होगा...

ऑटिज्म बीमारी क्या है?

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर को आम बोलचाल में ऑटिज्म कहा जाता है। यह मानसिक विकास से जुड़ी एक ऐसी अवस्था है, जो व्यक्ति के स्वभाव, बोलचाल और समाज में एक-दूसरे से घुलने-मिलने की क्षमता तथा अपनी भावनाओं को जाहिर करने व उन पर काबू पाने की क्षमता को भी प्रभावित
करती है। ऑटिज्म से प्रभावित ज्यादातर
बच्चे औसत से लेकर विलक्षण बुद्धि
वाले होते हैं। महान वैज्ञानिक आइंस्टीन,
न्यूटन व चार्ल्स डार्विन उन कुछ लोगों में
से हैं, जो ऑटिज्म से प्रभावित थे। ये अवस्था जन्मजात होती है। उम्र बढ़ने के साथ धीरे-धीरे इसके लक्षण उभरते हैं। किसी में इसका प्रभाव कम, तो किसी में ज्यादा देखने को मिल सकता है। जन्म के बाद के एक-दो वर्ष में इसके लक्षण कुछ खास नजर नहीं आते, पर उसके बाद कुछ खास लक्षणों पर ध्यान देकर इसे पहचान सकते हैं

आटिज्म के लक्षण

●बच्चे का नाम पुकारे जाने पर प्रतिक्रिया ना देना
अपनी ही दुनिया में खोए रहना
एक ही खेल या एक्टिविटी को बार-
बार दोहराना
. आंखों में आंखें डालकर बात ना कर
पाना, दूसरी तरफ देखना
एक अलग टोन में बात करना
- बातचीत के बीच कुछ अलग तरह
के शब्द या ध्वनियां शामिल करना,
कभी बहुत गुस्सा हो जाना और गुस्से
में सिर पटकना
बिना बात चीखना-चिल्लाना
कई बार हम इन लक्षणों को बचपना या
स्वभाव समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।
जीवन के शुरुआती साल ऑटिज्म को
पहचानने और उसके सही मैनेजमेंट की
दिशा तय करने में जरूरी होते हैं।



परिवार के सब सदस्य रोज
एक निश्चित समय बच्चे के
साथ खेलें। ऐसा करना बच्चे
को परिवेश के प्रति जागरूक
बनाता है। बच्चे के साथ हर
दिन पिक्चर कार्ड खेलें।ये
कार्ड आसानी से घर में बनाए
जा सकते हैं। ध्यान रखें, बच्चे
को सिखाने में जल्दबाजी न
'करें। एक समय में एक लक्ष्य
लेकर चलें।




कईथेरेपी हैं फायदेमंद

ऑटिज्म का कोई एक इलाज नहीं है, पर
इसे सही तरीके से मैनेज किया जा सकता
है। इसके लिए जितनी कम उम्र में हो सके,
इसकी पहचान होना और सही उपचार
मिलना जरूरी है। बच्चे का मजबूत पक्ष
कौन-सा है, उसकी कमजोरी क्या है,
बच्चे को किस तरह की थेरेपी चाहिए, उसे
स्पेशल एजुकेशन की जरूरत है या नहीं,
आदि पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके
लिए सही डॉक्टर मिलना और परिवार का
सपोर्ट बेहद अहम है।
ऑटिज्म प्रभावित बच्चों के लिए
स्पीच थेरेपी, सामाजिक व्यवहार से जुड़ी
थेरेपी, फिजियोथेरेपी और व्यावसायिक
शिक्षा देने वाली थेरेपी फायदेमंद साबित
होती आई हैं। ज्यादातर राज्यों में राज्य
सरकारें अस्पतालों या गैर-सरकारी
संस्थाओं के साथ मिलकर इस तरह के
थेरेपी सेंटर चलाती हैं।
राज्य के मुख्य सरकारी अस्पतालों से
ये जानकरी मिल सकती है। सकारात्मक
सोच और सही जानकारी के साथ
ऑटिज्म का प्रबंधन करके बच्चे को
बेहतर जीवन दिया जा सकता है।

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