ग्लूकोमा क्या होता है, उपचार, कारण, इलाज, निदान, लक्षण के बारे मे जानकारी हिन्दी में
अगर समय पर हो जाए पहचान तो रोका जा सकता है ग्लूकोमा से होने वाली हानि को कई बार इसकी गंभीरता बनती है आखों की रोशनी जाने का कारण...
ग्लूकोमा क्या होता है?
ग्लूकोमा विश्वभर में मोतियाबिंद के बाद दृष्टिहीनता का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। प्रारंभ में इसका उपचार न हुआ तो यह गंभीर समस्या बनता है। कई बार इसकी अनदेखी दृष्टिहीनता का कारण भी बन जाती है। ग्लूकोम्मा के बढ़ते मामलों और इसकी गंभीरता को देखते हुए प्रतिवर्ष 6 से 12 मार्च को वर्ल्ड ग्लूकोमा अवेयरनेस वीक मनाया जाता है। ग्लूकोमा को काला मोतिया या काला मोतियाबिंद भी कहते हैं। ये आंखों से संबंधित ऐसी समस्या है, जिसमें आप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। यह ऐसी बीमारी है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है।
ग्लूकोमा के लक्षण
अधिकतर मामलों में ग्लूकोमा के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसीलिए इसे 'साइलेंट ब्लाइडिंग डिसीज' भी कहा जाता है। जब समस्या गंभीर हो जाती है तब आंखों में ब्लाइंड स्पाट बनने लगते हैं।
इसकेअलावा निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
- नजर कमजोर होना या धुंधला दिखाई देना
- आंखों और सिर में तेज दर्द होना
- आंखें लाल होना
- अचानक दृष्टि धुंधली हो जाना
- रोशनी के आसपास रंगीन छल्ले दिखाई देना
ग्लूकोमा के कारण
- .उम्र 60 वर्ष से अधिक होमा
- आंखों में अत्यधिक आंतरिक दबाव
- ग्लूकोमा या आंखों से संबंधित समस्याओं का पारिवारिक इतिहास
- पहले हुई आंखों की कोई सर्जरी
- अत्यधिक दूर दृष्टि या निकट दृष्टि दोष
- ऐसी दवाइयों का सेवन जिससे आंखों में दबाव बढ़ता है
- डायबिटीज, हृदय रोग व उच्च रक्तचाप की समस्या
ग्लूकोमा के प्रमुख जांचें:
इसकी पहचान के लिए चिकित्सक निम्न जांचें करवाते हैं:
- टोनोमेट्री
- आप्थेलमोस्कोपी
- पेरीमेट्री
- गोनियोस्कोपी
- पाकीमेट्री
ग्लूकोमा के उपचार
ग्लूकोमा लाइलाज है, लेकिन उपचार के द्वारा लक्षणों की गंभीरता व दृष्टि को और अधिक नुकसान पहुंचने से बचाया जा सकता है। इसको उपचार नान-सर्जिकल व सर्जिकल दोनों तरह से किया जाता है। प्रारंभ में चिकित्सक दवाइयों व आई ड्राप्स का प्रयोग करते हैं। स्थिति गंभीर होने पर लेजर ट्रैबेक्युलोप्लास्टी, ग्लूकोमा फिल्टरिंग व ड्रेनेज ट्यूब्स आदि सर्जरी करते हैं।
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