इंटरडिसिप्लिनरी पढ़ाई क्या होता है?
तकनीक के तेजी से बढ़ते दौर में अपनी पहचान बनाने के लिए युवाओं के लिए इंटरडिसिप्लिनरी पढ़ाई करना बहुत जरूरी हो गया है यानी मैकेनिकल इंजीनियरिंग का स्टूडेंट आइटी या सीएस के संयोजन से आइओटी, डाटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ब्लाकचेन जैसी नई तकनीकों का उपयोग करते हुए इनोवेशन की दिशा में आगे बढ़ सकता है। इससे स्टूडेंट को न केवल अलग पहचान बनाने में मदद मिलती है, बल्कि उसके लिए देश और दुनिया की कंपनियों द्वारा आकर्षक पैकेज मिलने के अवसर भी बढ़ जाते हैं।
बदलते वक्त की ही मांगः इंटरडिसिप्लिनरी नालेज की बढ़ती जरूरतों की वजह से अब शैक्षणिक संस्थानों में स्टूडेंट्स को अपने ब्रांच के अलावा दूसरे ब्रांच के साथ मिलकर प्रोजेक्ट बनाने की सुविधा
दी जा रही है। इससे स्टूडेंट्स के लिए
अलग पहचान बनाने के अवसर बढ़
जाते हैं। पहले मैकेनिकल के स्टूडेंट को
कंप्यूटर की उतनी नालेज नहीं होती थी।
इंटरडिसिप्लिनरी नालेज/प्रोजेक्ट न होने के
कारण ही कोर ब्रांच (सिविल, मैकेनिकल,
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आदि) के प्रति
युवाओं की रुचि घटी है और सीएस,
आइटी जैसे ब्रांच में बढ़ी है। अब
मैकेनिकल के स्टूडेंट इंटरडिसिप्लिनरी
प्लेटफार्म पर एआइ का उपयोग करते
हुए विभिन्न प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
इसमें मैकेनिकल के स्टूडेंट्स की सहायता
कंप्यूटर साइंस/आइटी के बच्चे करते हैं।
स्टूडेंट्स के लिए अब इस तरह की पढ़ाई
जरूरी हो गई है। शैक्षणिक संस्थानों द्वारा
स्टूडेंट्स के लिए इस तरह के प्लेटफार्म
उपलब्ध कराना आवश्यक हो गया है।
टीचर के लिए भी इस दिशा में खुद को
अपग्रेड करना जरूरी है। इससे उनका
नालेज बेस बढ़ेगा, तो वे स्टूडेंट्स को
और बेहतर तरीके से गाइड कर सकेंगे।
इससे अच्छे प्रोजेक्ट, अच्छे स्टार्टअप्स,
अच्छी नौकरियों के अधिक अवसर सामने
आएंगे। इस प्रक्रिया में आनलाइन पढ़ने की
सुविधा भी लगातार बढ़नी चाहिए, ताकि
बच्चे को दुनिया में कहीं भी होने वाले
डेवलपमेंट के बारे में यथाशीघ्र जानकारी
मिल सके। इससे उसे नई चीजों से अपडेट:
रहने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री जी का
जो विजन है कि हम सिर्फ नौकरी करने
वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनें,
यह तभी होगा, जब हम इंटरडिसिप्लिनरी
स्टडी पर फोकस बढ़ाएंगे। एआइसीटीई
द्वारा भी इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।
संस्थान चुनते समय रखें इन बातो का ध्यान
स्टूडेंट्स को संस्थान का चयन करते
समय कुछबातों काध्यान अवश्य रखना
चाहिए। सबसे पहले तोयह देखें कि
भारत सरकारकीएनआइआरएफ
रैकिंग में उस संस्थान की क्या स्थिति
है।दूसरा, उन्हें यह देखना चाहिए कि वह
संस्थान एजुकेशन के मामले में कितना
एडवांस है।जोफ्यूचर टेक्नोलाजी
केबारेमें पढ़ा रहा हो, जिस पर आप
रिसर्च पेपर लिख सकें,उसे पेटेंट
करा सकें, अपना स्टार्टअप, अपनी
कंपनीबना सकें।इंटरनेट की वजह
से ग्लोबलाइजेशन बहुत सिमट गया
है।आज के समय में आपदुनिया में
गूगल चैट पर कहीं भी किसी से बात
कर सकते हैं।यहभी अवश्य देखें कि
वह संस्थाइंटरडिसिप्लिनरीप्लेटफार्म
उपलब्ध करा रही हो।वहां के टीचरएक
फैकल्टीसेकहीं आगे बढ़कर एक कोच
की तरह आपकी स्ट्रेंथ पर काम करें।
संस्थान आपको किसी बंद करिकुलम
तक सीमित नरखे।जैसे आने वाला
समय मेटावर्स का है, जिसमें हर चीज
का वर्चुअल फील मिलेगा।देखें कि ऐसी
सुविधाएं वहां हैं या नहीं ।ऐसे संस्थानों
के बारे में उनकी वेबसाइट से पता कर
सकते हैं। उन्हें फेसबुक, लिंक्डइन,
टिवटर, इंस्टाग्राम परफालो कर सकते
हैं।अलुमनाई को ट्रैक कर उनसे उस
संस्थान के बारे में पता कर सकते हैं।
आज के समय में कई संस्थान अपनी
पहल से बहुत अच्छा कर रहे हैं। ऐसे
संस्थान आटोनोमस तरीके से अपने
करिकुलम में बदलाव भी ला रहे हैं।
दी जा रही है। इससे स्टूडेंट्स के लिए
अलग पहचान बनाने के अवसर बढ़
जाते हैं। पहले मैकेनिकल के स्टूडेंट को
कंप्यूटर की उतनी नालेज नहीं होती थी।
इंटरडिसिप्लिनरी नालेज/प्रोजेक्ट न होने के
कारण ही कोर ब्रांच (सिविल, मैकेनिकल,
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग आदि) के प्रति
युवाओं की रुचि घटी है और सीएस,
आइटी जैसे ब्रांच में बढ़ी है। अब
मैकेनिकल के स्टूडेंट इंटरडिसिप्लिनरी
प्लेटफार्म पर एआइ का उपयोग करते
हुए विभिन्न प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
इसमें मैकेनिकल के स्टूडेंट्स की सहायता
कंप्यूटर साइंस/आइटी के बच्चे करते हैं।
स्टूडेंट्स के लिए अब इस तरह की पढ़ाई
जरूरी हो गई है। शैक्षणिक संस्थानों द्वारा
स्टूडेंट्स के लिए इस तरह के प्लेटफार्म
उपलब्ध कराना आवश्यक हो गया है।
टीचर के लिए भी इस दिशा में खुद को
अपग्रेड करना जरूरी है। इससे उनका
नालेज बेस बढ़ेगा, तो वे स्टूडेंट्स को
और बेहतर तरीके से गाइड कर सकेंगे।
इससे अच्छे प्रोजेक्ट, अच्छे स्टार्टअप्स,
अच्छी नौकरियों के अधिक अवसर सामने
आएंगे। इस प्रक्रिया में आनलाइन पढ़ने की
सुविधा भी लगातार बढ़नी चाहिए, ताकि
बच्चे को दुनिया में कहीं भी होने वाले
डेवलपमेंट के बारे में यथाशीघ्र जानकारी
मिल सके। इससे उसे नई चीजों से अपडेट:
रहने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री जी का
जो विजन है कि हम सिर्फ नौकरी करने
वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनें,
यह तभी होगा, जब हम इंटरडिसिप्लिनरी
स्टडी पर फोकस बढ़ाएंगे। एआइसीटीई
द्वारा भी इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।
संस्थान चुनते समय रखें इन बातो का ध्यान
स्टूडेंट्स को संस्थान का चयन करते
समय कुछबातों काध्यान अवश्य रखना
चाहिए। सबसे पहले तोयह देखें कि
भारत सरकारकीएनआइआरएफ
रैकिंग में उस संस्थान की क्या स्थिति
है।दूसरा, उन्हें यह देखना चाहिए कि वह
संस्थान एजुकेशन के मामले में कितना
एडवांस है।जोफ्यूचर टेक्नोलाजी
केबारेमें पढ़ा रहा हो, जिस पर आप
रिसर्च पेपर लिख सकें,उसे पेटेंट
करा सकें, अपना स्टार्टअप, अपनी
कंपनीबना सकें।इंटरनेट की वजह
से ग्लोबलाइजेशन बहुत सिमट गया
है।आज के समय में आपदुनिया में
गूगल चैट पर कहीं भी किसी से बात
कर सकते हैं।यहभी अवश्य देखें कि
वह संस्थाइंटरडिसिप्लिनरीप्लेटफार्म
उपलब्ध करा रही हो।वहां के टीचरएक
फैकल्टीसेकहीं आगे बढ़कर एक कोच
की तरह आपकी स्ट्रेंथ पर काम करें।
संस्थान आपको किसी बंद करिकुलम
तक सीमित नरखे।जैसे आने वाला
समय मेटावर्स का है, जिसमें हर चीज
का वर्चुअल फील मिलेगा।देखें कि ऐसी
सुविधाएं वहां हैं या नहीं ।ऐसे संस्थानों
के बारे में उनकी वेबसाइट से पता कर
सकते हैं। उन्हें फेसबुक, लिंक्डइन,
टिवटर, इंस्टाग्राम परफालो कर सकते
हैं।अलुमनाई को ट्रैक कर उनसे उस
संस्थान के बारे में पता कर सकते हैं।
आज के समय में कई संस्थान अपनी
पहल से बहुत अच्छा कर रहे हैं। ऐसे
संस्थान आटोनोमस तरीके से अपने
करिकुलम में बदलाव भी ला रहे हैं।
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