दिल की सेहत और हार्ट का ख्याल कैसे करें
ठंड बढ़ने के साथ ही हृदय रोगियों की दिक्कतें भी बढ़ने लगी हैं। हृदय रोगों का संबंध सिर्फ उम्र से नहीं होता। युवाओं को भी इसे लेकर सजग रहना चाहिए। खासकर मधुमेह, रक्तचाप, मोटापे व कोरोना से उबरे लोगों को आजकल बेहद सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि सर्दी के मौसम में शरीर में रक्त संचार व आक्सीजन के प्रवाह पर असर पड़ता है। सही जानकारी से दिल को सुरक्षित रखना। है मुमकिन.....
सर्दी के मौसम में संपूर्ण स्वास्थ्य के साथ ही दिल की सेहत को विशेष खयाल रखने की जरूरत है। दरअसल सर्दी के मौसम में ऐसे कई कारक हैं, जो हृदय का तनाव बढ़ाते हैं। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं, शरीर की रक्त वाहिकाओं का संकुचन (यदि त्वचा ठंड के संपर्क में है) और पूरे शरीर के ठंड के संपर्क में आने से औसत रक्तचाप बढ़ जाना। इससे हृदय को पंप करने के लिए अतिरिक्त उच्च बल की आवश्यकता होती है। इसके अलावा ठंडी हवा में सांस लेने पर हृदय की गति बढ़ सकती है साथ ही अधिक पेशाब होने और रक्त वाहिकाओं के संकुचन के कारण खून गाढ़ा हो जाता है। ऐसे में हृदय के लिए पंप करना चुनौती बन जाता है। इस बढ़े हुए कार्य का ही नतीजा है कि हृदय की मांसपेशियों में आक्सीजन की मांग बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में हृदय की धमनियों में रक्त का प्रवाह बढ़ना बेहद जरूरी है।
कहा जा सकता है कि उच्च-मध्य दाब के विरुद्ध विभिन्न अंगों को पर्याप्त मात्रा में गाढ़ा रक्त पंप करने के लिए न केवल हृदय का कार्य बढ़ जाता है, बल्कि रक्त की आपूर्ति की जरूरत भी बढ़ जाती है।
ये सभी समस्याएं अंतर्निहित हृदय रोग, जैसे- उच्च रक्तचाप, हृदयाघात आदि के रोगियों में अधिक बढ़ जाती हैं। हृदय की मांसपेशियों में आक्सीजन की मांग बढ़ने के कारण हृदयाघात हो सकता है, क्योंकि
हृदय में रक्त का प्रवाह आवश्यकता के अनुसार नहीं बढ़ सकता है। पहले से ही उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों में बढ़े हुए दबाव से मामूली रक्तस्राव हो सकता है। यह हृदय की विफलता (हार्ट फेल्यर) का
कारण भी बन सकता है।
उच्च रक्तचाप व मधुमेह के रोगी:
अनियंत्रित मधुमेह और मोटापा, दोनों ही एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का कठोर व संकीर्ण होना) की घटनाओं को बढ़ा सकते हैं। जब भी एथेरोस्क्लेरोसिस हृदय वाहिकाओं को प्रभावित करता है, इसके परिणाम सीधे हृदयाघात के रूप में सामने आ सकते हैं। धमनी की बीमारी की स्थिति में जब भी ठंड के संपर्क में आने से हृदय पर कोई दबाव आता है तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है। इसके अलावा लंबे समय तक मधुमेह रहने से रक्त वाहिकाएं सख्त हो जाती हैं, जिससे उच्च रक्तचाप की स्थिति पैदा हो सकती है। उच्च रक्तचाप से ग्रसित रोगी के संदर्भ में इस बात पर जोर दिया जाता है कि अचानक रक्तचाप बढ़ने से कहीं जानलेवा रक्तस्राव न होने लगे।
इस प्रकार मोटापे, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के रोगियों को अपने हृदय के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच कराने की आवश्यकता पड़ती है। वर्तमान में पोस्ट कोविड रोगियों के हृदय रोग से पीड़ित होने की सूचना मिल रही हैं। इन हालात में हृदय की पंप करने की क्षमता घट जाती है, क्योंकि कोरोना से हृदय की मांसपेशियां भी प्रभावित होती हैं। यह मरीज के हार्ट फेल्यर (हार्ट की पंप करने की गति कम हो जाना) की आशंका को बढ़ा सकता है और ठंड के संपर्क में आने से पैदा होने वाला कोई भी तनाव गंभीर हृदय रोग का कारण बन सकता है।
क्या करें मोटापा, उच्च रक्तचाप व मधुमेह के रोगी:
बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा:
इस प्रकार मोटापे, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के रोगियों को अपने हृदय के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच कराने की आवश्यकता पड़ती है। वर्तमान में पोस्ट कोविड रोगियों के हृदय रोग से पीड़ित होने की सूचना मिल रही हैं। इन हालात में हृदय की पंप करने की क्षमता घट जाती है, क्योंकि कोरोना से हृदय की मांसपेशियां भी प्रभावित होती हैं। यह मरीज के हार्ट फेल्यर (हार्ट की पंप करने की गति कम हो जाना) की आशंका को बढ़ा सकता है और ठंड के संपर्क में आने से पैदा होने वाला कोई भी तनाव गंभीर हृदय रोग का कारण बन सकता है।
क्या करें मोटापा, उच्च रक्तचाप व मधुमेह के रोगी:
ऐसे रोगियों को चाहिए कि जितना हो सके घर के अंदर रहें, गिरते तापमान या ठंडी हवाओं के संपर्क में आने से बचें, पर्याप्त गर्म भोजन और गर्म पेय पदार्थ लें स्वयं को एक मोटी परत के बजाय पतले कपड़ों की कई परत से ढकें। यह उपक्रमे अधिक बचाव करता है। घर के अंदर रहते हुए भी नियमित रूप से हल्के व्यायाम करें। जिन लोगों को दिल की बीमारी है, उन्हें कठिन व्यायाम से बचना चाहिए।
बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा:
जब बात दिल को सेहतमंद रखने की हो तो बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए ठंड.के जोखिम की प्रकृति एक समान होती है। एक गर्भवती महिला में पहले से ही रक्त की मात्रा में वृद्धि के कारण हृदय पर कार्य का भार बढ़ जाता है और अतिरिक्त तनाव से सामान्य वयस्कों की तुलना में उनकी हृदय गति रुकने की आशंका बढ़ जाती है।
गर्भावस्था में हृदय की किसी भी समस्या के कारण गर्भस्थ शिशु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका होती है। इसलिए हृदय संबंधी तनाव को बढ़ाने वाले किसी भी परिस्थिति से गर्भवती स्त्रियों को बचना चाहिए। बुजुर्गों को भी विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि किसी भी तरह के तनाव के परिणामस्वरूप उन्हें हृदय रोग आसानी से हो सकता है।
तनाव देने वाली परिस्थितियों को दूर रखते हुए स्वस्थ खानपान, व्यायाम व प्राणायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाकर वे हृदय रोगों से सुरक्षित रह सकते हैं
पर्यावरण का भी रखें ध्यान
गर्भावस्था में हृदय की किसी भी समस्या के कारण गर्भस्थ शिशु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका होती है। इसलिए हृदय संबंधी तनाव को बढ़ाने वाले किसी भी परिस्थिति से गर्भवती स्त्रियों को बचना चाहिए। बुजुर्गों को भी विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि किसी भी तरह के तनाव के परिणामस्वरूप उन्हें हृदय रोग आसानी से हो सकता है।
तनाव देने वाली परिस्थितियों को दूर रखते हुए स्वस्थ खानपान, व्यायाम व प्राणायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाकर वे हृदय रोगों से सुरक्षित रह सकते हैं
पर्यावरण का भी रखें ध्यान
पर्यावरण प्रदूषण का दुष्प्रभाव उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और हृदय संबंधी मौतों की बढ़ती घटनाओं के रूप में सामने आता है। इसलिए आटोमोबाइल का उपयोग कम करें, जहां भी संभव हो वाहनों को साझा करें, मास्क का उपयोग करें, लेड या कैडमियम का उपयोग करने वाले उद्योगों के संपर्क में आने से बचें, खाना पकाने के लिए एलपीजी जैसे स्वच्छ घरेलू ईंधन का उपयोग करें।
दिल की बीमारी के कारण
युवाओं में धूमपान, तंबाकू और नशीली दवाओं के सेवन की प्रवृत्ति, अनियमित जीवनशैली के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या, फास्ट फूड और वसायुक्त भोजन के अत्यधिक सेवन से हाइपरलिपिडिमिया (रक्त में उच्च मात्रा में वसा) की शिकायत सामान्य बात है। ये स्थितियां हृदय की धमनी के लिए जोखिम पैदा करती हैं। मानसिक तनाव से हृदय की सेहत सीधे प्रभावित होती है, इसलिए उपरोक्त से बचाव जरूरी है
दिल को सुरक्षित रखने के उपाय
सर्दी के मौसम में दिल को सेहतमंद रखने और युवाओं में दिल के दौरे का जोखिम कम करने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतना जरूरी है:-
दिल की बीमारी के कारण
युवाओं में धूमपान, तंबाकू और नशीली दवाओं के सेवन की प्रवृत्ति, अनियमित जीवनशैली के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या, फास्ट फूड और वसायुक्त भोजन के अत्यधिक सेवन से हाइपरलिपिडिमिया (रक्त में उच्च मात्रा में वसा) की शिकायत सामान्य बात है। ये स्थितियां हृदय की धमनी के लिए जोखिम पैदा करती हैं। मानसिक तनाव से हृदय की सेहत सीधे प्रभावित होती है, इसलिए उपरोक्त से बचाव जरूरी है
दिल को सुरक्षित रखने के उपाय
सर्दी के मौसम में दिल को सेहतमंद रखने और युवाओं में दिल के दौरे का जोखिम कम करने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतना जरूरी है:-
- नियमित रूप से सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम अवश्य करें।
- फास्ट फूड और वसायुक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से पूरी तरह परहेज करें।
- मानसिक एवं भावनात्मक तनाव को कम करें साथ ही आराम के लिए समय जरूर निकालें।
- नियमित रूप से व्यायाम व प्राणायाम करें। इससे रक्त में आक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है।
- घूमपान या किसी भी नशीली दवा के सेवन से पूरी तरह दूर रहें।
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